हॉस्टलों में सालों से अटैच शिक्षिकाएं, स्कूलों में ताले, शिक्षा विभाग बना मूक दर्शक
जांजगीर-चांपा। CG NEWS: यह खबर किसी मज़ाक का हिस्सा नहीं, बल्कि मासूम बच्चों के भविष्य की जमीनी हकीकत है। जिले की “एक को फांसी, बाकी को माफी” जैसी तुगलकी शिक्षा नीति आज पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही है।
“सरकारी स्कूलों में मासूम बच्चों के लिए नहीं हैं शिक्षक, मगर अफसरों के खासों को सालों से हॉस्टलों में अटैच कर बिठाया गया है।”
भविष्य को गड्ढे में धकेलती नीतियां
शिक्षा विभाग की ‘भाई-भतीजावाद नीति’ का ताजा उदाहरण पामगढ़ ब्लॉक से सामने आया है।
यहां पर कई सरकारी स्कूल शिक्षक विहीन हैं, मगर अफसरों के खास शिक्षकों और शिक्षिकाओं को सालों से हॉस्टलों में अटैचमेंट पर रखा गया है।
गांव-गांव में बच्चे किताब लेकर शिक्षक ढूंढते फिर रहे हैं, और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ ट्रांसफर आदेशों पर साइन कर रहे हैं।
🚨 शिक्षिका को हटाया, बच्चों ने जड़ दिया स्कूल में ताला
ताजा मामला ग्राम मेऊ का है, जहां शिक्षकों की भारी कमी से तंग आकर बच्चों ने खुद स्कूल में ताला जड़ दिया।
शिकायत के बाद, विभाग ने आनन-फानन में हॉस्टल में अटैच एक शिक्षिका को फिर से स्कूल भेजा।
सवाल ये है कि जब शिक्षिका को तुरंत भेजा जा सकता था, तो सालों से हॉस्टल में क्यों बिठाया गया था?
📊 युक्तिकरण योजना की धज्जियां उड़ाईं
राज्य सरकार द्वारा शिक्षक युक्तिकरण नीति लागू की गई थी ताकि हर स्कूल में छात्र संख्या के मुताबिक शिक्षक मिल सकें।
लेकिन पामगढ़ के अधिकारियों ने इस पर खुलेआम पलीता फेर दिया है। अपने पसंदीदा स्टाफ को स्कूल से हटाकर हॉस्टल भेज दिया गया है।
🧒 और भुगत कौन रहा है? सिर्फ मासूम छात्र
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न शिक्षक
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न पढ़ाई
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न गुणवत्ता
छात्रों का भविष्य हॉस्टल की दीवारों के पीछे दम तोड़ रहा है, जबकि शिक्षा अधिकारी चुपचाप पदस्थापन की राजनीति में व्यस्त हैं।
📢 Grand News की सवाल
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क्या शिक्षा विभाग में योग्यता से ज़्यादा “जान-पहचान” मायने रखती है?
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युक्तिकरण सिर्फ कागजों तक ही सीमित क्यों है?
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बच्चों की पढ़ाई को सालों तक बर्बाद करने का जवाब कौन देगा?
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क्या यह सिस्टम में बैठी ‘शैक्षणिक भ्रष्टाचार’ की कहानी नहीं है?
🔚 Grand View:
“स्कूल में ताले, शिक्षिका हॉस्टल में – शिक्षा को बना दिया गया है तबादलों का खिलौना।”
बच्चों की आंखों में सवाल हैं, जवाबदारों की आंखों में शर्म नहीं।