मनरेगा योजना के तहत ‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान में बड़ा कदम, 2,050 ट्रेंच का निर्माण जारी
जांजगीर-चांपा। CG NEWS: जिले के बलौदा विकासखंड के ग्राम पंचायत हेडसपुर के गोसाई पहाड़ पर इन दिनों पर्यावरण संरक्षण और जल बचाव की एक मिसाल रची जा रही है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत यहां स्टेगर्ड कंटूर ट्रेंच निर्माण का कार्य जोरों पर है। यह पहल “मोर गांव मोर पानी” अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है—हर गांव में जल स्रोतों का पुनर्जीवन और जल आत्मनिर्भरता।
2,050 कंटूर ट्रेंच का निर्माण, 6.46 लाख की स्वीकृति
इस योजना के अंतर्गत गोसाई पहाड़ में कुल 2,050 ट्रेंच बनाए जा रहे हैं, जिसके लिए 6 लाख 46 हजार 973 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। ट्रेंच का कार्य तेज़ी से चल रहा है और इससे न केवल बारिश का पानी सहेजा जाएगा, बल्कि भूजल स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार होगा।
क्या है कंटूर ट्रेंच और इसका महत्व?
कंटूर ट्रेंच एक जल संरक्षण तकनीक है, जिसमें ढलान वाली ज़मीन पर समान ऊँचाई पर खाइयाँ बनाई जाती हैं, ताकि वर्षा जल बहकर व्यर्थ न जाए। जब बारिश होती है, तो पानी इन खाइयों में जमा होता है और धीरे-धीरे ज़मीन में समा जाता है। इससे नमी बनी रहती है, भूमि कटाव रुकता है और आसपास हरियाली बढ़ती है।
स्टेगर्ड ट्रेंच की खासियत
‘स्टेगर्ड’ ट्रेंच यानी कि खाइयाँ ज़िगज़ैग तरीके से दूरी बनाकर बनाई जाती हैं, जिससे पानी का प्रवाह धीमा होता है और अधिक अवशोषण होता है। इस तकनीक का उपयोग विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में किया जाता है, जहां मिट्टी का कटाव अधिक होता है या पानी की कमी रहती है।
रोज़गार के साथ पर्यावरणीय सुधार
इस परियोजना से स्थानीय ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार भी मिल रहा है, जिससे आजीविका के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी कार्य हो रहा है। यह पहल ग्रामीण विकास, जल संरक्षण और सतत भविष्य के लिए एक ठोस कदम के रूप में देखी जा रही है।
निष्कर्ष
बलौदा की पहाड़ियों में शुरू हुआ यह कार्य आने वाले समय में क्षेत्र की हरियाली, खेती और जल स्रोतों के पुनर्जीवन में बड़ी भूमिका निभाएगा। यह मॉडल अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।