डेस्क। Ai monkey video : मंकेश, डोगेश और बबलू जैसे नामों से ये AI जैनेरेटेड पात्र लोकप्रिय हो रहे हैं, जिन्हें यूपी, दिल्ली और अब CG समेत पूरे भारत में क्रिएटर्स द्वारा लाइव किया जा रहा है । हरदोई (यूपी) के आकाश जैसे क्रिएटर्स ने इन्हें AI और एनीमेशन टूल्स (जैसे Google Vivo 3, Runway ML, Kaiber, Pika आदि) के जरिए तैयार किया है ।
CG में क्यों खास ट्रेंड?
ग्रामीण परिदृश्य के साथ बंदर को जोड़कर इसे लोकल टच मिला – किसान खेतों में काम करता दिखता, कभी रिपोर्टर बन फुटकर जानकारी देता, कभी हाई-एनर्जी रैप पर थिरकता। यही वैरायटी ट्रेंडिंग रील्स और मीम्स क कारण बनी है, जो छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत भर में वायरल हो रही हैं।
सोशल मीडिया और इंफ्लुएंसर मार्केटिंग में बढ़त
इंडिया के ये AI डिजिटल व्लॉगर्स हाल ही में 77k+ फ़ॉलोअर्स और 77 मिलियन व्यूज तक पहुंच चुके हैं – खासकर “Vlogger Babloo AI” और “Tekno Vlogs” जैसे चैनलों से, कंटेंट टीम्स स्पष्ट करती हैं कि ये क्लिप्स पूरी तरह AI-निर्मित हैं, लेकिन दर्शक इनकी भावनात्मक और सांस्कृतिक कनेक्शन को पसंद कर रहे हैं। हारदोई के आकाश की प्रेरणा,बी‑टेक छोड़ चुके आकाश ने खुद AI सीखकर सिर्फ कंप्यूटर व इंटरनेट की मदद से ये पात्र तैयार किए । उनका मानना है, “कहानी दमदार होनी चाहिए – न कि सिर्फ तकनीक”।
विशेषज्ञों की राय
तकनीकी पत्रकारों के अनुसार, चीन में AI बिल्ली-व्लॉग्स जैसे कंटेंट ने 2.5 लाख रुपए तक कमाई की है – और भारत में अब बंदरों के माध्यम से यह ट्रेंड तेज़ी पकड़ रहा है।
सोशल मीडिया विश्लेषकों के अनुसार, AI वीडियो बनाने का खर्च बेहद कम है, लेकिन दर्शकों को जो कनेक्शन मिल रहा है, वही इस कंटेंट को वायरल बना रहा है।
छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत में यह “AI व्लॉगर बंदर” नए युग की कहानी कह रहा है – जहाँ किसानों से लेकर रैपर, रिपोर्टर से लेकर ट्रैवलर, ये पात्र हर रूप में दिखाई दे रहे हैं। यह केवल AI की ताकत नहीं है, बल्कि सशक्त कहानी और लोक-जोड़ बनाने की क्षमता का प्रमाण है।
गलत सूचना (Misinformation)
अगर AI बंदर को किसी फर्जी न्यूज, राजनीति या संवेदनशील विषय पर बोलते हुए दिखाया जाए, तो यह झूठी खबरें फैलाने का माध्यम बन सकता है।
deepfake जैसे खतरे यहीं से शुरू होते हैं।असली कलाकारों और पत्रकारों के लिए चुनौती जब AI पात्र सब कुछ कर रहे हैं — ऐक्टिंग, रिपोर्टिंग, एंकरिंग, मिमिक्री — तो मानव प्रतिभा का मूल्य घटने लगता है लोकल व्लॉगर, थिएटर कलाकार, रिपोर्टर और एनिमेटर की नौकरियों पर असर पड़ सकता है।
डेटा और गोपनीयता (Privacy Risk)
AI पात्रों को ट्रेन करने के लिए कई बार असली लोगों की आवाज़ें, चेहरों और व्यवहार की नकल ली जाती है। इससे लोगों की निजता का उल्लंघन हो सकता है,सांस्कृतिक या धार्मिक भावनाओं को ठेस,AI बंदर को रिपोर्टर, पंडित, या नेता जैसा बनाकर मज़ाक उड़ाना सांस्कृतिक अपमान के दायरे में आ सकता है।कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर विरोध कर सकते हैं।
लत और असली दुनिया से दूरी
जब लोग AI पात्रों को देखकर ज़्यादा जुड़ने लगते हैं, तो वे असली इंसानी रिश्तों और अनुभवों से कटते चले जाते हैं। इंस्टाग्राम रील्स की लत और वर्चुअल वर्ल्ड में खो जाना एक बड़ा मानसिक स्वास्थ्य खतरा है।