सक्त्ती। CG NEWS: डभरा तहसील क्षेत्र में इन दिनों खाद्द और kcc समय पर नही मिलने से किसान खासा परेसान है इसी कड़ी में सिरियागढ़ सुसाइटी के अंतर्गत आने वाले किसान इस समय गहरे संकट में हैं। एक तरफ मॉनसून दस्तक दे चुका है और खेतों में बुवाई रोपाई का काम तेजी पर है, लेकिन किसानों को सबसे बुनियादी ज़रूरत, यानी खाद, ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है। किसान खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं, जिससे उनकी फसलें प्रभावित होने का खतरा मंडरा रहा है और परेशानी यहीं खत्म नहीं होती।
इन अन्नदाताओं को मिलने वाले किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के चेक भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं। ये चेक किसानों के लिए खेती की लागत और अन्य तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन महीनों से उन्हें इन चेक के लिए शाखा प्रबंधक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं,,
किसानों का सीधा आरोप है कि वे पिछले कई दिनों से समिति कार्यालय और बैंक के लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। किसानों का कहना है कि यह सब समिति प्रबंधक की घोर मनमानी का नतीजा है, जिसके चलते उनकी परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और उनकी जीविका पर सीधा संकट आ गया है,,
इस गंभीर समस्या को लेकर आक्रोशित किसानों ने हार मानकर नहीं बैठे हैं। उन्होंने अपनी पीड़ा और मांगों को लेकर स्थानीय एसडीएम को कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें उन्होंने जल्द से जल्द समाधान की गुहार लगाई है। हालांकि, इतने दिनों बाद भी अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही होती नहीं दिख रही, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश और निराशा है,,
और इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया है। एक ओर जहां किसान चेक न मिलने की शिकायत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सहकारी बैंक मैनेजर का दावा है कि 300 सौ से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड के चेक पहले ही जारी किए जा चुके हैं। अब सवाल ये उठता है कि यदि इतने बड़े पैमाने पर चेक जारी हो चुके हैं, तो फिर ये किसानों तक क्यों नहीं पहुंच रहे? कहां गुम हो रहे हैं ये चेक? या फिर बैंक मैनेजर का यह दावा सिर्फ कागजों तक ही सीमित है?
यह स्थिति किसानों के भविष्य और उनकी मेहनत पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। प्रशासन को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर एक उच्च-स्तरीय जांच करनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि अन्नदाताओं को उनकी मेहनत का फल मिल सके और वे बिना किसी बाधा के अपनी खेती-किसानी कर सकें। फिलहाल देखने वाली बात होगी साशन प्रशासन मौन कब तक किसानों के लाभ के लिए कब खुलेगी जब सरकारी अमला ही कुछ कहने को हिचकिचाए, तो जनता को न्याय कैसे मिलेगा!