नई दिल्ली। Vice President Jagdeep Dhankhar resigns : देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। 21 जुलाई 2025 को, धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के बाद आया, जब धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की थी। लेकिन इस इस्तीफे की टाइमिंग और हाल के विवादों ने सवाल खड़े कर दिए हैं: आखिर इस्तीफे की असल वजह क्या है?
इस्तीफे का कारण: स्वास्थ्य या सियासत?
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा कि वे “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने” के लिए पद छोड़ रहे हैं। इस साल मार्च में उन्हें हृदय संबंधी समस्या के चलते दिल्ली के AIIMS में भर्ती किया गया था। हाल ही में नैनीताल विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मंच से उतरते समय वे बेहोश हो गए थे, जिसके बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएँ बढ़ी थीं।
हालांकि, विपक्षी दलों और सोशल मीडिया पर कई लोग इस कारण पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य से ज्यादा सियासी दबाव से जुड़ा हो सकता है, खासकर उनके हाल के बयानों और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर तीखी टिप्पणियों के बाद।
विवाद की जड़: सुप्रीम कोर्ट और महाभियोग प्रस्ताव
हाल ही में धनखड़ ने राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की चर्चा शुरू की थी, जिसे विपक्ष के 50 से अधिक सांसदों का समर्थन मिला था। सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ ने यह कदम बिना ट्रेजरी बेंच से सलाह लिए उठाया, जिससे सत्तारूढ़ NDA के भीतर असहजता पैदा हुई। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि सरकार इस प्रस्ताव को लेकर असमंजस में थी, और धनखड़ के इस कदम ने सियासी तनाव बढ़ाया।
एक्स पर कुछ यूजर्स ने इसे “जिहादी इकोसिस्टम” के दबाव से जोड़ा, दावा करते हुए कि धनखड़ के सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयानों ने कुछ शक्तिश2ल समूहों को नाराज किया। एक यूजर ने उनके पुराने बयान को उद्धृत किया: “न मैं दबाव में रहता हूँ, न दबाव में काम करता हूँ।” फिर भी, ये दावे अभी सट्टेबाजी पर आधारित हैं, और कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है।
विपक्ष का रुख: सवाल और शुभकामनाएँ
Vice President Jagdeep Dhankhar resigns : विपक्षी दलों ने धनखड़ के इस्तीफे पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ दी हैं:
•कांग्रेस: वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस्तीफे को “अकथनीय” और “चौंकाने वाला” बताया। उन्होंने कहा, “सुबह 10 बजे धनखड़ ने मुझसे मुलाकात की थी, और कोई संकेत नहीं था। इसके पीछे जरूर कुछ और है।” रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से धनखड़ को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने की अपील की।
•कपिल सिब्बल: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता ने धनखड़ के साथ अपने 30-40 साल के निजी रिश्ते का जिक्र करते हुए दुख जताया और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।
•इमरान मसूद: कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया侔या, “धनखड़ दिन भर संसद में सक्रिय थे, फिर एक घंटे में ऐसी कौन सी बीमारी हो गई कि इस्तीफा देना पड़ा?”
•AIMIM और शिवसेना (UBT): नेताओं जैसे वारिस पठान और आनंद दुबे ने धनखड़ के स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँ दीं, लेकिन सवालों का दौर जारी रहा।
आगे क्या?
संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत, उपराष्ट्रपति का इस्तीफा राष्ट्रपति को लिखित रूप में सौंपा जाता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने अभी तक इस्तीफे को स्वीकार करने या न करने पर कोई बयान नहीं दिया है। तब तक उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के दैनिक कार्यों का प्रबंधन करेंगे। संविधान के अनुसार, छह महीने के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुनना होगा।
धनखड़ का सफर
जगदीप धनखड़ अगस्त 2022 से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति थे। उनका कार्यकाल 2027 तक था, लेकिन वे सातवें ऐसे उपराष्ट्रपति बन गए जिन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया। इससे पहले, वे 2019-2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे, जहाँ उनकी तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ तनातनी चर्चा में रही।
सियासी हलचल और सवाल
धनखड़ के इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह वाकई स्वास्थ्य कारणों से लिया गया फैसला है, या इसके पीछे कोई गहरी सियासी रणनीति है? विपक्ष इसे NDA के भीतर मतभेद या बाहरी दबाव से जोड़ रहा है, जबकि सरकार की ओर से अभी खामोशी है। सोशल मीडिया पर भी अटकलों का बाजार गर्म है, लेकिन सच्चाई सामने आने में अभी वक्त लग सकता है। Vice President Jagdeep Dhankhar resigns