रवि विदानी, महासमुंद। Mahasamund : छत्तीसगढ़ में विकास की बात तो खूब होती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक के भुवनेश्वरपुर गांव में बीते 9 दिनों से बिजली नहीं है, ट्रांसफार्मर खराब पड़ा है, लेकिन बिजली विभाग के अफसरों को अभी तक फुर्सत नहीं मिली गांव पहुंचने की। हमारी टीम जब मौके पर पहुँची, तो जो हालात दिखे वो किसी भी ‘विकास’ के दावे को शर्मिंदा कर दें रहे हैं।
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9 दिनों से गांव में अंधेरा पसरा है
भुवनेश्वरपुर गांव में ट्रांसफार्मर खराब हुए 9 दिन बीत गए, लेकिन यहां अब तक कोई नया ट्रांसफार्मर नहीं लगाया गया। गांव में अंधेरा पसरा है, बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे, पंखा ना चलने से मच्छरों से पूरा गांव परेशान है। सबसे बड़ी दिक्कत – पीने का पानी। बिजली ना होने से हैंडपंप और मोटर बंद, लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
“हम क्या एक गांव की चिंता करें?”
ग्रामीणों ने जब बिजली विभाग को कई बार सूचना दी, तो जवाब मिला – “हम क्या एक गांव की चिंता करें?” पिरदा विद्युत विभाग के जेई से जब संवाददाता ने संपर्क किया, तो उन्होंने बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया, “हमारे अंडर बहुत गांव आते हैं, हम क्या एक-एक गांव के लिए बैठे हैं?” इस जवाब से साफ है – गांव की चिंता अफसरों की प्राथमिकता में नहीं है।
बिजली विभाग के अफसर बेसुध
भुवनेश्वरपुर जैसे गांव जब 9 दिनों तक अंधेरे में रहते हैं और बिजली विभाग के अफसर बेसुध होकर बैठे रहते हैं, तो सवाल उठना लाज़मी है – क्या छत्तीसगढ़ के गांवों में रहने वाले लोगों का अधिकार नहीं है रोशनी और सुविधा का? सरकार को चाहिए कि तत्काल संज्ञान ले और गांव में बिजली बहाल करवाए।