रायपुर। कोरोना महामारी ने स्कूली बच्चों के सिर से उनके अभिभावकों का साया छीन लिया है। कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता दोनों ही गुजर गए हैं। राजधानी रायपुर में अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कोरोना ने 495 स्कूली बच्चों को अनाथ कर दिया। रायपुर में 16 वर्ष तक की उम्र के बच्चों वाले 299 अभिभावकों की जान कोरोना ने ले ली है।
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स्कूल शिक्षा के संचालक जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि रायपुर के अलावा बलौदाबाजार में अभिभावक व बच्चे क्रमशः 59 और 60, कोरबा में 30 और 35 , सक्ती में 30 और 30 दंतेवाड़ा में 11 और 11 बीजापुर में 16 और 16, अंबिकापुर में 7 और 14 प्रभावित हैं। बाकी जिलों से भी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। प्रदेशभर में मरने वाले अभिभावकों की संख्या करीब एक हजार है। वहीं, इनसे प्रभावित बच्चों की संख्या दो हजार तक बताई जा रही है। अभी सर्वे चल रहा है और प्रभावित होने वाले बच्चों यह आंकड़ा चार हजार तक पहुंच सकता है।
इन बच्चों के लिए महतारी दुलार योजना
केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी अनाथ बच्चों के लिए राहत की घोषणाएं की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना के तहत इन बच्चों के पढ़ाई समेत तमाम सुविधाओं के लिए योजना बनाई है। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने निजी स्कूलों में कोरोना संक्रमण में माता-पिता खोने वाले बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठाने का निर्णय लिया है।
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सरकार पूरे प्रदेश से आंकड़ा एकत्र करने के प्रयास में जुटी है। रायपुर जिले से मिले डेटा के मुताबिक 495 ऐसे बच्चें हैं, जो कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हो गए या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। 299 अभिभावकों ने अपनी जान गंवा दी है।