बागपत। दिल का टुकड़ा 12 साल बाद जब मां-बाप के आंखों के सामना आया तो उनका खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। मारे खुशी के आंखों से आंसू छलक आए। यह नजारा अमीनगर सराय के अपना घर आश्रम का था। यहां एक बेटे को जिन्होंने मरा समझा, वो आज उनके आंखों के सामने था।
हुआ यूं कि 12 साल पहले हाथरस जनपद के नंगला अहीर गांव निवासी मानसिक रूप से बीमार रामलाल उर्फ शशिकपूर भटककर कहीं चले गए थे। उनकी माता शारदा और पिता रामदुलारे ने उनकी काफी खोज की, लेकिन पता नहीं चल पाया था। एकाएक उन्हें हाथरस थाने से फोन आया कि उनका पुत्र बागपत जनपद के अमीनगर सराय में है। यह सुनते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तुरंत ही अपने पुत्र की एक झलक पाने के लिए अमीनगर सराय पहुंच गए। यहां उन्होंने पुत्र को देखा तो आंखों से आंसू बंद नहीं हो रहे थे। शारदा ने बताया कि जब रामलाल गुम हुआ था तब उसकी उम्र 20 वर्ष थी। अपने बेटे को काफी तलाशा था, लेकिन कोई पता नहीं चल पाया था। चार साल पहले उसे मृत समझकर छाती पर गम का पत्थर रख लिया था।
अमीनगर सराय अपना घर आश्रम के सचिव दिनेश जैन ने बताया कि नवंबर में अपना घर आश्रम शुरू किया था, तभी आश्रम के हैड आफिस से यह रामलाल को शिफ्ट किया गया था। यहां पर उनकी सेहत का ध्यान रखा गया, जिससे काफी सुधार आया। जब वह ठीक हुआ तो उसने अपना पता हाथरस बताया। उन्होंने हाथरस आश्रम की ब्रांच से संपर्क किया। उन्होंने थाना कोतवाली से युवक का गांव और उनके स्वजन का पता लगाया। तब जाकर स्वजन को जानकारी दी। अब बेटे को उन्हें सौंप दिया है। पूछताछ में रामलाल ने बताया कि वह मध्यप्रदेश में था, उसके बाद पता नहीं वह कहा-कहां रहा। स्वजन काफी खुश है। इस दौरान वित्त सचिव इंद्रपाल वर्मा, उपाध्यक्ष ईश्वर दयाल अग्रवाल मौजूद रहे।
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