फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का शुक्रवार रात 91 साल की उम्र में निधन हो गया। साल 2016 में मिल्खा सिंह रोटरी क्लब के एक कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर आए थे। यहां उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि उनके जीते-जी कोई भारतीय एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीते, ओलंपिक में तिरंगा लहराए। लेकिन, फ्लाइंग सिख की यह अंतिम इच्छा अधूरी ही रह गई। रायपुर आने के दौरान दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मिल्खा सिंह अपने आखिरी इच्छा जाहिर की थी, पढ़िए उन्हीं के शब्दों में।
गम है दूसरा मिल्खा पैदा नहीं हुआ
मिल्खा सिंह ने तब बातचीत में कहा कि मैं जब दौड़ता था तब पैरों में जूते नहीं होते थे। न ही ट्रैक सूट होता था। न कोचेस थे और न ही स्टेडियम। 60 बरस पहले मैं दौड़ा करता था। आज 125 करोड़ है देश की आबादी। मुझे दुख इस बात का है कि अब तलक कोई दूसरा मिल्खा सिंह पैदा नहीं हो सका। मैं 90 साल का हो गया हूं, दिल में बस एक ही ख्वाहिश है कोई देश के लिए गोल्ड मेडल एथलेटिक्स में जीते। ओलंपिक में तिरंगा लहराए। नेशनल एंथम बजे। पांच खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जो फाइनल में पहुंचने के बावजूद ओलंपिक में पदक लेने से चूक गए।
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सुविधाएं मिलें तो छत्तीसगढ़ से अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे
फ्लाइंग सिख ने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल क्षेत्र है। आदिवासी खिलाड़ी मेहनत करने में पीछे नहीं रहते हैं। यदि उन्हें अकादमी के माध्यम से अच्छी सुविधाएं दी जाएं तो हमें कई बड़े एथलीट मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि ओलिंपिक जैसे बड़े खेलों में हम अच्छा नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे एक ही कारण देश में अच्छी अकादमियों की कमी। हर राज्य में एक-एक एथलेटिक्स अकादमी होनी चाहिए। देश में कोच की कमी नहीं है। साई से लगभग 50 हजार कोच ने डिग्री ली है। इन्हें संविदा पर अकादमी में रखा जाए। यदि ये रिजल्ट न दें तो इन्हें बदलकर दूसरे को मौका दिया जाए।