रायपुर। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कैट के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा अकस्मात दलहनों पर स्टॉक सीमा लगा दिए जाने से समस्त छत्तीसगढ के थोक अनाज व्यापारी, एवं दाल मिलर्स में भारी असंतोष है और वे इस फैसले का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। इस सिलसिले में थोक अनाज व्यापारी, एवं दाल मिलर्स संगठनों द्वारा छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को ज्ञापन सौंपा गया।
श्री पारवानी ने कहा कि भारतीय उद्योग-व्यापार मंडल के सात करोड़ व्यापारी केन्द्र सरकार एवं खाद्य, उपभोक्ता मामले तथा सावर्जनिक वितरण मंत्रालय की नीतियों एवं निर्णयों का पूरी तरह पालन करते रहे हैं। 14 मई को सरकार ने सभी दलहन व्यापारियों को साप्ताहिक आधार पर अपने स्टॉक की घोषणा करने और सरकारी अधिकारियों से इसका भौतिक सत्यापन का आदेश दिया। तमाम असुविधाओं के बावजूद व्यापारी वर्ग इस आदेश का पालन कर रहा है। अब 2 जुलाई को उपभोक्ता मामले में विभाग ने सिर्फ मूंग को छोड़कर अन्य सभी दलहनों पर स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से लागू करने का फैसला किया, जो अप्रत्याशित था।
श्री पारवानी ने खाद्य मंत्री को इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मंडियों में अभी चना की भरपूर आवक हो रही है, किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है, व्यापारियों का कारोबार सामान्य ढंग से चल रहा है और उद्योग भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर रहा है और लोगों को रोजगार के अच्छे अवसर मिल रहे हैं। आयातकों को भी विदेशों से खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत दलहनों की खेप मंगाने की पूरी छूट दे दी गई है। ऐसी स्थिति में दलहनों पर स्टॉक सीमा लागू करना उचित नहीं है और केन्द्र सरकार को तुरंत इसे वापस लेना चाहिए। केन्द्र सरकार द्वारा समूचे देश में थोक दलहन व्यपारियों के लिए 200 टन की स्टॉक सीमा लगा दी गई है। इसका पूरे देश में विरोध हो रहा है।
खाद्य मंत्री ने इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।
प्रतिनिधि मंडल में छत्तीसगढ़ दाल उद्योग महासंघ के कोषाध्यक्ष हरिमल सचदेव, रायपुर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीत गोयल, महासचिव नानक तनवानी, भाटापारा दाल मिल एसोसिएशन से कैलाश बालानी आदि शामिल थे।