GRAND NEWS= केरल में हथिनी की मौत के तीन दिन के बाद सरकार के कान खड़े हुए हैं । इस मामले में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन(cm pinrai vijyan) ने कहा कि पलक्कड जिले के मन्नारकड़ वन मंडल में हथनी की मौत मामले में प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस को घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। केरल के मल्लपुरम में हथिनी (female elephant) के साथ हुए कृत्य के मामले में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम(wild life act) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है । इस पूरी घटना में हथिनी की मौत हो गई थी । घटना के बाद लोगों में रोष फैल गया
केंद्र ने मौत पर मांगी रिपोर्ट
इस बीच केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घटना पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि केन्द्र ने इस पर पूरी रिपोर्ट मांगी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
और वो करती रही मौत का इंतजार
आपको बता दें कि हथिनी की पानी में खड़ी रहकर मौत आने की तस्वीरें जिसने भी देखे उसका दिल रो पड़ा । ये बेजुबान कुछ बोल नहीं सकती थी । अपना दर्द साझा नहीं कर सकती थी । न ही कुछ ज्यादा करने की ताकत शरीर में बची थी । क्योंकि इसने वो पाप किया था जो शायद किसी जानवर को नहीं करना चाहिए । और वो पाप था किसी पर भरोसा करना । वो भरोसा जिसके कारण आज ये मौत के आगोश में सो गई है । तस्वीरें केरल के मल्लपुरम जिले की है जहां इस गर्भवती हाथिनी ने तीन दिन तक वेल्लियार नदी में खड़े-खड़े मौत का इंतजार किया और इस दुनिया से रुकसत हो गई । इस हथिनी का कसूर सिर्फ इतना था कि ये इंसानी बस्ती के करीब आ गई थी । भूखी थी तो पेट भरने के लिए कुछ खाना चाहिए था,शायद खुद के लिए नहीं उस बच्चे के लिए जो इसके पेट में पल रहा था । जो शायद कुछ महीने बाद इस दुनिया में आता । इसके झुंड का हिस्सा बनता । लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था । इस हथिनी को मल्लपुरम जिले के ग्रामीणों ने अन्नानास(pineapple) फल के अंदर पटाखें भरकर खिला दिया। पटाखा मुंह और पेट के अंदर जाकर फटा तो कुछ समझ में नहीं आया । एक पल उसे लगा कि किसी ने मजाक किया लेकिन ये मजाक नहीं था क्योंकि इस पटाखे ने उसका जबड़ा तोड़ दिया था, जीभ जला दी थी और पेट में पल रहे बच्चे(baby elephant) की जान ले ली थी ।
दर्द इतना कि चीखने के लिए आवाज भी नहीं निकल सकती थी । इस हथिनी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता । बस्ती के लोगों को बिना कोई तकलीफ पहुंचाए ये हथिनी दर्द से छुटकारा पाने के लिए वेल्लियार नदी में आकर खड़ी हो गई । वन्य अधिकारियों को जब इस बात की जानकारी लगी तो उसने हथिनी को खोजना शुरु किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी । दो दिन बीत चुके थे और जब उसे इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम इलाके में भेजी गई तो हथिनी की अंतिम सांसें चल रही थी । रस्सियों के सहारे जब इसे बाहर निकाला गया तो बेजान जिस्म के और कुछ नहीं बचा था । मन्नारक्कड़ वन रेंज के अधिकारियों ने हथिनी का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया । अधिकारियों की माने तो ये हथिनी किसी दैवीय रुप से कम न थी क्योंकि चोटिल होने के बाद आम तौर हाथी लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन इसने अपने दर्द को कम करने के लिए पानी का सहारा लिया क्योंकि उसके सिवा ये कुछ नहीं खा पी सकती थी । इसे लग चुका था कि अब ये नहीं बचेगी इसलिए मौत का इंतजार किया। ये पूरी घटना 27 मई की है और हथिनी ने 29 मई को दम तोड़ दिया ।
सोशल मीडिया में फूटा देश का गुस्सा
मेनका गांधी, रतनटाटा, फिल्मी हस्तियां,खिलाड़ी जिस-जिस ने इस घटना के बारे में पढ़ा या देखा। अपना गुस्सा जाहिर करने से खुद को रोक नहीं पाया । हर किसी के लिए ये तस्वीरें विचलित करने वाली थी । हर कोई सोच रहा था कि आखिर किसी बेजुबान के साथ कोई ऐसा कैसे कर सकता है ।