भारत से दोस्ती के बीच आरएसएस की विचारधारा को रोड़ा बताने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को अब आरएसएस ने जवाब दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय संच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को आड़े हाथों लिया है। इंद्रेश कुमार ने पाकिस्तानी पीएम को जवाब देते हुए कहा कि ‘अपने आतंकी कनेक्शन को ढकने के लिए इमरान खान आरएसएस पर इल्जाम लगा रहे हैं। इमरान खान का बयान इस बात का प्रतीक है कि पाकिस्तान अपने जन्म से ही जहर से भरे हुए हुक्मरानों का देश है। पाकिस्तान की जनता शांति से रहना चाहती है, लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान तो अपने ही मुल्क के दुश्मन हैं। 1971 में उनके जहरीले भाव ने पाकिस्तान तोड़ दिया और बांग्लादेश अलग हो गया। अब उनके जहरीले बयानों से सिंध, बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान फिर से पाकिस्तान से टूटकर अलग होने की राह पर चल पड़े हैं।’ इंद्रेश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान की विचारधारा ही इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने हिंदुस्तानियों को दो हिस्सों में बांट रखा है। पाकिस्तान के हुक्मरानों की तालिबानी विचारधारा मानवता, शांति और भाईचारे की दुश्मन है।
इमरान खान उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में मध्य और दक्षिण एशियाई देशों के दो दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। यहां जब न्यूज एजेंसी ‘ANI’ के एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि क्या बात और आतंकवाद एक साथ चल सकता है? यह भारत की तरफ से आपसे सीधा सवाल है। इसपर जवाब देते हुए इमरान खान ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट का ठीकरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर फोड़ दिया। इमरान खान ने कहा कि ‘भारत से तो हम कह रहे हैं कि एक सिविलाइज्ड हमसाए बनकर साथ रहें, लेकिन करें क्या एक आरएसएस की आइडियोलॉजी रास्ते में आड़े बनकर आ गई है।’ इसके बाद इमरान खान से तालिबान को लेकर सवाल किया गया तब वो बिना जवाब दिये वहां से चलते बने। इसका एक वीडियो भी सामने आया है जब इमरान खान पत्रकार के सवाल से बचकर निकल जाते हैं।
Also Read : Katrina Kaif मुंबई 4 लाख लेकर आई थीं, आज हैं 224 करोड़ रुपए की मालकिन, पढ़ें पूरी खबर
बता दें कि अफगानिस्तान में हिंसा फैला रहे तालिबान की मदद करने को लेकर पाकिस्तान की पहले से ही काफी किरकिरी हो रही है। यहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि अफगानी खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि पिछले महीने पाकिस्तान और दूसरे स्थानों से लगभग 10000 से अधिक जिहादी लड़ाके अफगानिस्तान में घुसे हैं। इतनी बड़ी संख्या में लड़ाकों की घुसपैठ से उनके सहयोगियों और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के सहयोग का संकेत मिलता है। अफगानी राष्ट्रपति ने साफ शब्दों में कहा कि तालिबान का समर्थन करने वाले संगठन अफगान लोगों और देश की संपत्ति का विनाश होने का जश्न मना रहे हैं।
Also Read : रसगुल्ले को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? क्या आपके पास है जवाब