रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित (देवभोग) के अध्यक्ष रसिक परमार और सेवानिवृत्त प्रबंध संचालक डॉ.एस.एस.गहरवार पर मशीन खरीदी को लेकर भारी मात्र में भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आई है। शिकायत के बाद एक जांच कमेटी बनाई गई जिसकी रिपोर्ट में करोड़ों के हेरा फेरी बात सामने आई है। कमेटी ने इसकी जांच के लिए सीबीआई की मांग की है। इस पुर मामले की जांच के लिए तात्कालिक उप दुग्ध आयुक्त के.के.तिवारी एकीकृत डेयरी परियोजना कबीरधाम को जाँच अधिकारी बनाया गया था। जिसकी जाँच रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं।
2 करोड़ 21 लाख रूपये की मशीन खरीदी
छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित (देवभोग) में प्लांट में मशीन स्थापित करने के लिए वित्त वर्ष 2010 -11 एवं 2012 – 13 में आर.के.व्ही.वाय. योजनांतरगर्त केंद्र सरकार से करोड़ो रूपये का अनुदान मिला था। इस मद से भ्रष्टाचार करने की नियत से कूटरचित तरीके से मेसर्स हरे कृष्ण अहमदाबाद से 2 करोड़ 21 लाख रूपये की मशीन खरीदी की गयी। जबकी उक्त फर्म से किसी प्रकार से कोई अनुबंध ही नहीं गया और न ही अनुबंध के लिए कोई पत्र जारी किया, बाउजूद इसके उक्त फर्म से करोड़ों की लागत से मशीन खरीदी कर डाले।
खरीदी में भंडार क्रय नियम का उल्लंघन
दस्तवेजों के मुताबिक जनवरी 2013 में 2 करोड़ 21 लाख रूपये की सामाग्री क्रय करने के लिए निविदा जारी किया गया था जिसमे तुलनात्मक सारणी के अनुसार द्वितीय निविदाकार को क्रय करने का आदेश देना था जो कि दुग्ध महासंघ के द्वारा ऐसा न कर भंडार क्रय नियम का उलंघन किया गया। उक्त सामग्री को खरीदी करने के लिए पुनः निविदा जारी की गयी जिसमे के केवल दो निविदाकारों ने भाग लिया जिसमे केवल एक ही निविदाकार मेसर्स एयर परफेक्शन जबलपुर के द्वारा 30 लाख की छूट का ऑफर दिए जाने के बाद क्रय करने का आदेश दे दिया गया।
शिकायतकर्ता ने दुग्ध महासंघ की कार्यप्रणली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि महासंघ के अधिकारीयो ने निविदा कार्य के विरुद्ध जाकर जबलपुर की उक्त कम्पनी का दौरा करना भी संदेह के घेरे में हैं। भंडार क्रय नियम के अनुसार प्रतिस्पर्धा के आभाव में टेंडर रद्द किया जाना चाहिए था जो कि दुग्ध महासंघ ने ऐसा न कर 30 लाख रूपये छूट का हवाला दिया। आश्चर्य कि एन.डी.डी.बी. से बगैर सहमति लिए बिना टेंडर में भाग लेने वाले जबलपुर के एक ही प्रतिभागी को करोड़ों का ठेका दिया गया.
एक ही कंपनी ने टेंडर भरा, उसे ही करोड़ का काम मिला
अध्यक्ष रसिक परमार और तत्कालिक प्रबंध संचालक डॉ. एस.एस.गहरवार के नेतृत्व में फरवरी 2013 में आर.के.व्ही.वाय. मद में मिले राशि का बंदरबांट करने के लिए खरीदी गयी. नई मशीनों की मरम्मत के लिए अप्रैल 2013 में फिर से टेंडर निकाला गया जिसमे सिर्फ एक ही कम्पनी मेसर्स एयर परफेक्शन जबलपुर ने भाग लिया और उसे मान्य करते हुए 1 करोड़ 18 लाख 33 हजार 6 सौ रूपये का सामाग्री खरीदी करने का ठेका दे दिया गया जिसमे खरीदी गयी सामग्री के मूल्यों में भी भारी अंतर पाया गया हैं।
इसी तरह अक्टूबर 2013 में मेसर्स डी.मेक फरीदाबाद टेंडर के जरिये मशीनों की मरम्मत के लिए 22 लाख 12 हजार रूपये का ठेका अकेले भाग लेने वाले कम्पनी को दिया गया। चूँकि भंडार क्रय नियम के अनुसार प्रतिस्पर्धा के आभाव में दुग्ध महासंघ ने भ्रष्टाचार करने की नियत से टेंडर निरस्त नहीं किया।
जाँच अधिकारी के.के.तिवारी के दस्तावेजों के मुताबिक दुग्ध महासंघ अध्यक्ष और प्रबंध संचालक के नेतृत्व में नई मशीनों में आयी खराबी बिना किसानो और सरकार से मिले अनुदान की राशि को हड़पने की मंशा से स्पेयर पार्ट खरीदने के पूर्व एन. डी.डी.बी. से अनुमति नहीं ली गयी और न ही कोई टेंडर निकाला गया. बावजूद इसके एच.एम्.टी.लिमिटेड औरंगाबाद से नई रेफ्रिजरेशन यूनिट के लिए 2 करोड़ 5 लाख 24 हजार की लागत से स्पेयर पार्ट बिना कोई जरूरत के खरीद की गयी।
गहरवार के यहां ईओडब्ल्यू का छापा पड़ा था, फिर भी बनाया गया प्रबंध संचालक
शिकायत कर्ता छत्तीसगढ़ दुग्ध निगम कर्मचारी संघ के तात्कालिक अध्यक्ष जे.एस.कुशवाहा ने दुग्ध महासंघ में सविंदा में नियुक्त प्रबंध संचालक डॉ. एस.एस.गहरवार के पद को लेकर की गयी शिकायत की जाँच की थी. इस जाँच में कहा गया कि डॉ. एस.एस.गहरवार किसी सेवा श्रेणी में नहीं आते. उन्हें कोई प्रशासकीय एवं वित्तीय अधिकार नहीं हैं इस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद वित्त विभाग ने फरवरी 2014 में सचिव सहकारिता विभाग, अगस्त 2015 में पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ को आदेशित कर गहरवार के द्वारा जारी किये गए क्रय आदेश, नोट शीटों के अनुमोदन में करोड़ों का भ्रष्टाचार पाया गया।