रायगढ़। औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण का जिस तेजी से विनाश हो रहा है, मानव जीवन को मुसीबत में डालने वाला है। शासन की योजनाओं में पर्यावरण संरक्षण को बेहद अहम माना गया है, लेकिन वर्तमान समय में पर्यावरण को ताक पर रखकर औद्योगिकीकरण को पल्लवित किया जा रहा है। इस पर सवाल गूंजना स्वाभाविक है। रायगढ़ के युवा सामाजिक कार्यकर्ता सत्यदेव शर्मा ने इस विषय को लेकर सवाल उठाया है कि आखिर जनसुनवाई से पहले छग आदिवासी मंत्रणा परिषद की अनुमति क्यों नहीं ली जाती।
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दरअसल, पांचवीं व छठवीं अनुसूची पेसा कानून 1996, भूमि अधिग्रहण कानून 12013 की अनदेखी करते हुये जशपुर जिला के कांसाबेल ब्लाक अंतर्गत ग्राम टाँगरटोली में माँ कुदरगढ़ी एनर्जी एन्ड इस्पात प्रा.लि. कांसाबेल को ग्रीनफील्ड स्टील प्लांट स्पंज आयरन क्षमता 462000 टन प्रतिवर्ष, बिलेट्स क्षमता 520000 टन प्रतिवर्ष,टी एम टी बार क्षमता 500000 टन प्रतिवर्ष एवं कैप्टिव पॉवर प्लांट क्षमता 70 मेगावाट की जन सुनवाई 4 अगस्त को तय की गई है। इसका विरोध करते हुये क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी, पर्यावरण संरक्षण मंडल रायगढ़ को सामाजिक कार्यकर्ता सत्यदेव शर्मा ने जन सुनवाई रोके जाने का आग्रह किया है।
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सामाजिक कार्यकर्ता सत्यदेव शर्मा ने पर्यावरण संरक्षण मंडल रायगढ़ को लिखे पत्र में कहा है कि जशपुर जिला का वातावरण को न बिगाड़ा जाये यह जिला राज्य का सर्वाधिक पर्यावरण सुरक्षित जिला है,यहां का सुरम्य जंगल पहाड़ पर्वत मानव जीवन के लिये सुरक्षित है, पत्र में कहा गया है कि पेसा कानून 1996 व छत्तीसगढ़ आदिवासी मन्त्रणा परिषद से स्वीकृति ली गई है क्या और नही ली गई है तो ऐसा कौन सा कानून अथवा नियम या आदेश है जो उपरोक्त शक्तियों को कमजोर करता है जिसके आधार पर जनसुनवाई करवाया जा रहा है।
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4 अगस्त को पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई से पूर्व अधिसूचित जशपुर जिला में पांचवी व छठवीं अनुसूचि, पेसा कानून , छत्तीसगढ़ आदिवासी मन्त्रणा परिषद की शक्तियां क्या कहती है इस पर विधि विभाग छत्तीसगढ़ शासन व महाधिवक्ता उच्च न्यायालय बिलासपुर से मार्गदर्शन प्राप्त करने की मांग करते हुऐ पत्र में लिखा गया है कि यदि आपके अथवा आपके द्वारा उपरोक्त विषयों का समाधान किये बगैर यदि जनसुनवाई करवाई जाती है तो पुलिस में एफ आई आर दर्ज कराकर दाण्डिक कार्यवाही करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा।