रायपुर। आय से अधिक संपत्ति अर्जन और राजद्रोह के मामले में निलंबित एडीजीपी जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया है। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह को हाईकोर्ट से काफी उम्मीद थी, लेकिन उन्हें जोरदार झटका लगा है।
जस्टिस एनके व्यास की एकल पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज जारी कर दिया गया है। जीपी सिंह की ओर से अधिवक्ता किशोर भादुड़ी और सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल अमृतोदास ने पैरवी की। आय से अधिक संपत्ति अर्जन के मामले में एसीबी की ओर से राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केटी तुलसी ने पैरवी की।
उल्लेखनीय है कि एसीबी और इओडब्लू ने एडीजीपी जीपी सिंह के शासकीय निवास सहित 10 ठिकानों पर दबिश दी थी। करीब 64 घंटे की मैराथन पड़ताल के बाद 10 करोड़ की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया था। इसके बाद पुलिस के हाथों ऐसे साक्ष्य लगे, जिसमें सरकार के खिलाफ साजिश रखने की जानकारी का खुलासा हुआ। इस मामले में सरकार को विश्वास में लेने के बाद सीनियर आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दायर किया गया था।
निलंबित आईपीएस जीपी सिंह ने अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद अब निलंबित आईपीएस जीपी सिंह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।