ऑटो डेस्क। Vehicle Scrappage Policy: देश में इस साल की शुरुआत में भारत सरकार ने एक व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी की घोषणा की थी। इस कदम को तेजी से बढ़ती वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उठाया गया। वहीं घोषित की गई इस नीति से भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। जाहिर है कि COVID-19 महामारी के बाद से स्थिति ज्यादा खराब हुई है, और ऐसे में सबकी नजर इस पॉलिसी पर है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं, इसके कुछ प्रमुख बिंदु:
फिटनेस टेस्ट में फेल होने वाले वाहन होंगे स्क्रैप
वाहन की पंजीकरण अवधि समाप्त होने के बाद सभी वाहनों को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा। स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत, एक यात्री वाहन की उम्र 20 वर्ष तक सीमित कर दी गई है, जबकि कमर्शियल वाहनों की आयु 15 वर्ष होगी। यदि वाहन फिटनेस परीक्षण में विफल हो जाता है, तो इसे “end-of-life” वाहन के रूप में समझा जाएगा। इस बीच, मालिकों को पुन: पंजीकरण के लिए आवेदन करने के बजाय स्वेच्छा से वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट पास नहीं करने वाले वाहन चलाने पर भारी जुर्माना लगेगा और उन्हें जब्त भी किया जाएगा।
वाहन स्क्रैप करने वाले मालिकों को मिलेगा लाभ
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सुझाव दिया कि यदि वाहन मालिक अपने वाहन को स्क्रैप करना चुनते हैं, तो मालिक को 4-6 प्रतिशत का स्क्रैप मूल्य दिया जाएगा। साथ ही नया वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में 25 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। वाहन निर्माताओं को स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र दिखाने वाले मालिकों को पांच प्रतिशत की छूट देने की सलाह दी जाएगी। साथ ही स्क्रैप किए गए वाहन के बदले कुल लाभ लगभग 10-15 प्रतिशत होगा।
कब से होगी लागू
जानकारी के लिए बता दें, फिटनेस टेस्ट नियम और स्क्रैपिंग सेंटर 1 अक्टूबर 2021 से लागू होंगे। जिसमें 15 साल से अधिक उम्र के सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के वाहनों को 1 अप्रैल 2022 से रद्द किया जाएगा। वहीं भारी कमर्शियल वाहनों के लिए अनिवार्य फिटनेस परीक्षण 1 अप्रैल 2023 से लागू होगा और अन्य सेगमेंट के फिटनेस परीक्षण 1 जून, 2024 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सरकार विभिन्न राज्यों में पूरे भारत में 26 स्क्रैपिंग और फिटनेस परीक्षण केंद्र स्थापित करेगी।