गरियाबंद। कई बार कुछ बोले बिना ही तस्वीरें अपने आप सच्चाई बयान कर देती हैं, जमीनीं हकीकत की कुछ ऐसी ही तस्वीर गरियाबंद जिले के खजुरपदर पंचायत के आश्रित बहालपारा की है, शायद जिन्हें देखकर विकास का मतलब आसानी से समझ आ जाएगा।
इन ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पडी रही है, गरियाबंद की खजुपदर पंचायत के आश्रित बहालपारा में तकरीबन 15 परिवार के 50 सदस्य 12 साल से रह रहे है, तब से लेकर आज तक मोहल्ले के लोगों की जरुरत को पूरा करने के लिए यहां पर एकमात्र कुंआ ही पीने के पानी का एक जरिया है।गॉव के सभी लोग इसी कुंए से अपनी प्यास बुझाते है, गॉव का कोई एक व्यक्ति कुंए से पानी निकालकर महिलाओं के बर्तनों में डालता है तब महिलाएं पानी लेकर घर पहुंचती है। सरकारें बदली, अधिकारी भी बदलें मगर बहारपाला की तस्वीर नहीं बदली। पंचायत सचिव जिस पर गॉव के विकास की पूरी जिम्मेदारी होती है, उसने तीन महीने पहले पदस्थ होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड लिया, पीएचई विभाग जिस पर पेयजल की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सरकार ने सौंप रखी है, उनके अधिकारियों ने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए किनारा कर लिया।ग्रामीणों का दावा है कि वे अपनी इस समस्या से कई बार जिम्मेदारों को अवगत कर चुके है लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।
गौरतलब है कि सडक बिजली पानी किसी भी व्यक्ति की बुनियादी सुविधाओं में शामिल है, यदि जिम्मेदार ये सुविधाएं उपलब्ध कराना छोड़कर केवल बहाना करते रहेंगे, तो विकास की बयार पर सवाल उठना लाजिमी है।
सालों से 15 परिवार आश्रित हैं एकमात्र स्त्रोत कुँए पर ,बहाना बनाकर पल्ला झाड़ते हैं जिम्मेदार ..
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