प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन व बिलासपुर जिला के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पण्डित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह में आभासी उपस्थिति के माध्यम से शिक्षा पूर्ण कर दीक्षित होने वाले विद्यार्थियों को बधाईयां देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना किया। इस अवसर पर जयसिंह अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि उन्हें गर्व हो रहा है कि बिलासपुर में चार विश्वविद्यालय हैं जिनमें से एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, दो राजकीय विश्वविद्यालय तथा एक निजी विश्वविद्यालय। दो राजकीय विश्वविद्यालयों में से एक पण्डित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय संपूर्ण राज्य में शिक्षा का प्रसार कर रहा है और इस दृष्टि से देखा जाए तो यह विश्वविद्यालय राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। अपने उद्बोधन को जारी रखते हुए बिलासपुर जिला प्रभारी मंत्री व प्रदेश के राजस्व मंत्री ने कहा कि बड़ा होने का मतलब ही है अधिक जि़्ाम्मेदारियाँ। जैसा कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्वविद्यालय प्रतिवेदन में बताया है उससे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, अधिकारी व कर्मचारी सभी विश्वविद्यालय के प्रत्येक कार्य का निष्पादन जि़्ाम्मेदारी पूर्वक कर रहे हैं। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि समाज के विकास और राष्ट्र की उन्नति के लिए मनुष्य का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। शिक्षा से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण होने के साथ ही ज्ञान और कौशल में गुणात्मक सुधार होता है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है जिससे मनुष्य अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाते हुए राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छी तरह से कर सकता है। शिक्षित व्यक्ति ही समाज को सही राह दिखाने में सहायक हो सकता है। मैं इस अवसर पर पथ-प्रदर्शक, समाज को समानता और भाई-चारे का संदेश देने वाले पण्डित सुन्दरलाल शर्मा जी को आदर पूर्वक नमन करता हूँ।
दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था के सुचारू संचालन व उसके महत्व को प्रतिपादित करते हुए राजस्व मंत्री ने कहा कि पूरा विश्व कोविड-19 से उत्पन्न कठिनाईयों का सामना कर रहा है। बिलासपुर शहर के साथ ही पूरा देश इन कठिनाइयों से अछूता नहीं है, लेकिन यहाँ की सम्मानित जनता के अभूतपूर्व सहयोग से प्रदेश की सरकार ने कठिनाइयों का डटकर सामना किया है। शिक्षण प्रक्रिया बाधित न हो इसके लिए लगातार प्रयास किए गए और विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों तक समस्त शैक्षणिक संस्थानों द्वारा वैकल्पिक तौर पर आॅनलाइन शिक्षण की व्यवस्था की गई। वर्तमान समय में शिक्षा के प्रसार को अधिक व्यापक बनाने की दिशा में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा पद्धति ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है। अब तो इसको शिक्षा के नियमित विकास के एक विकल्प के रूप में भी देखा जाने लगा है। मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा एक नवाचार है, जिसके माध्यम से शिक्षा को एक नयी दिशा दिए जाने की आवश्यकता है। दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं को सशक्त करने और दिशा निर्देशन हेतु दूरस्थ शिक्षा परिषद् को अधिकृत किया गया है। परिषद को आवश्यक शक्तियां व अधिकार भी प्रदान किए गए हैं, जिससे कि वह एक जिम्मेदार संस्था के रूप में कार्य कर सके।
उन्होंने आगे कहा कि आज छत्तीसगढ़ के सूदूर अंचलों तक प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ विशेषकर अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं पिछड़े वर्ग के तथा सर्व समाज के भाई-बहनों तक पहुंच पा रहा है। प्रभारी मंत्री होने के नाते इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के अवसर पर मैं बस इतना कहना चाहूँगा कि समाज में सद्भाव, भाईचारा एवं शांति स्थापित करने के लिए अन्य उपायों में शिक्षा एक बेहतर माध्यम होने की बात कही।
दीक्षांत समारोह के स्वर्णिम अवसर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति माननीया अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश कुमार पटेल, सांसद अरूण कुमार साव, मुख्य-वक्ता प्रो. नागेश्वर राव जी, कुलपति इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय दिल्ली, इस विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. बंशगोपाल सिंह, सहित सभी प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी, व बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी, गणमान्य नागरिक, एवं स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।