शक्ति। शहर की सुघड़ सडके व्यवस्थित गलियां, बड़े बड़े तालाबों वाल रजवाड़ों के समय की सबसे पुरानी स्टेट सक्ती अपनी सुन्दरता के लिए जानी पहचानी जाती थी। धीरे-धीरे समय ने करवट ली स्टेट का दर्जा तहसील में तहसील से शैक्षणिक जिला में तब्दील हुआ। समय के साथ नगर के विशाल तालाबों की खूबसूरती पर ग्रहण सा लग गया।
जानकारी मुताबिक स्टेट समय से तालाबों में जल भराव की सुघड़ व्यवस्था की गई थी, पहाड़ों का पानी नालों के रास्ते तालाबों तक पहुंचने की बात कही जाती है। पहाड़ों का पानी नाले के रास्ते दुकाल सागर से होते हुए गणेश बंध तालाब, गणेश बंध से दर्री तालाब से होते हुए पुरहैना तालाब पहुचता था। और इन तालाबों का पुराना पानी की निकासी नालियों से होते हुए नगर की मुख्य सड़क के नाले में जाने की बात कही जाती है। सक्ती नगर को खास पहचान दिलाने में नगरपालिका क्षेत्र में आठ से दस तालाबों का होना बताया जाता है। किन्तु वर्तमान में अपनी बदहाली की चादर ओढ़ यह तालाब कहीं न कही बाट जौहता हुआ मन ही मन यह अवश्य गुनगुनाता तो जरुर होगा कि- कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन। और आज एसडीएम रैना जमील ने जब नगर के तालाबों का जायजा लिया तोरजवाड़ों के समय का नगर की सुंदरता में चार चांद लगाने वाले तालाब मन ही मन यह भी गुनगुनाते तो होंगे ही दुःख भरे दिन बीते रे भैया अब सुख आयो रे।
देखना यह होगा कि एसडीएम मैडम क्या इन तालाबों को पुनः अपनी खोई पहचान दिला पाएंगी। लोगों के जीवन में अहम भूमिका निभाने वाले नगर के तालाबों की बदहाली का जिम्मेदार कौन । अपनों ने ही लगाया ग्रहण लोगों की प्यास बुझाने वाले तालाबों को।
आईएएस एसडीएम मैडम कहीं पैदल तो कही मोटर कार से पहुंचीं तालाबों का जायजा लेने
टीम सदस्य प्रभारी तहसीलदार शिवकुमार डनसेना, नगरपालिका सीएमओ अशोक दुबे एवं पटवारी सत्यनारायण भी रहे साथ।