बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन इस साल नहीं लग पाएगी। कोविड टास्क फोर्स की रिसर्च टीम के मुताबिक कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान बच्चों पर हुए शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि दो से 12 साल तक के बच्चों को फिलहाल उतना खतरा नहीं है। इसीलिए तय किया गया है कि इस उम्र के बच्चों को 2022 की पहली तिमाही के दौरान टीकाकरण किया जाए। रिसर्च टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इसके लिए सिफारिश भी की है।
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बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन इस साल नहीं लग पाएगी। कोविड टास्क फोर्स की रिसर्च टीम के मुताबिक कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान बच्चों पर हुए शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि दो से 12 साल तक के बच्चों को फिलहाल उतना खतरा नहीं है। इसीलिए तय किया गया है कि इस उम्र के बच्चों को 2022 की पहली तिमाही के दौरान टीकाकरण किया जाए। रिसर्च टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इसके लिए सिफारिश भी की है।
देश में बच्चों को लगाई जाने वाली वैक्सीन की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। 18 साल तक के किशोरों को लगाने के लिए वैक्सीन के ट्रायल किए जा चुके हैं। लेकिन इसी दौरान आईसीएमआर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल कोविड टास्क फोर्स टीम की टीकाकरण करने वाली रिसर्च टीम की कुछ अलग सिफारिशें हैं। इस टीम के चेयरपर्सन डॉक्टर एनके अरोड़ा का कहना है बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन इस साल नहीं लगाई जा सकेगी।उनका कहना है कि अगले साल जनवरी से लेकर मार्च के बीच में बच्चों को वैक्सीन दिए जाने का पूरा प्रस्ताव है। इसकी वजह बताते हुए डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि पहली और दूसरी लहर के दौरान जो शोध किए गए उससे इस बात का पता चला कि बच्चों को कोरोना का उतना खतरा नहीं है जितना उनके माता-पिता को है। यही वजह है कि भारत सरकार की पूरी कोशिश दिसंबर के अंत तक देश के सभी टारगेटेड ग्रुप को टीकाकरण करने की है।डॉक्टर एनके अरोड़ा का कहना है 18 साल तक के किशोरों के लिए वैक्सीन के ट्रायल हो चुके हैं। चूंकि सिफारिश यही है कि दिसंबर के बाद शुरुआत के तीन महीनों में इस आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जाए। इसलिए अगर कोई बहुत इमरजेंसी नहीं होगी तो दो से 12 और 13 से 18 साल के आयु वर्ग का टीकाकरण 2022 की जनवरी से मार्च के बीच में शुरू किया जाएगा।डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि चर्चा इस बात की भी जोरों पर है कि जब तक बच्चों में पूरी तरीके से टीकाकरण नहीं हो जाएगा, तब तक स्कूलों को नहीं खोला जाएगा। उनका कहना है संसदीय समिति ने जो अपनी सिफारिशें दी हैं उसमें उनके विशेषज्ञों की टीम भी शामिल है। डॉक्टर अरोड़ा का कहना है विशेषज्ञों की टीम की सिफारिश है कि स्कूल में आने वाले सभी स्टाफ का अगर टीकाकरण हो चुका है तो बच्चों के स्कूल खोलने में कोई भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन यह सारा फैसला संबंधित राज्यों पर निर्भर करता है।देश में टीकाकरण को रफ्तार देने और उसकी पूरी व्यवस्था पर नजर रखने वाली कमेटी के चेयरपर्सन डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि उनकी पूरी कोशिश है कि दिसंबर के अंत तक सभी लोगों को वैक्सीनेट कर दिया जाए। देश में इस वक्त भारत समेत दुनिया के अलग-अलग देशों में तैयार की गई वैक्सीन को लगाने की अनुमति मिल चुकी है।कुछ वैक्सीन के लिए प्रत्यावेदन की प्रक्रिया चल रही है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की पूरी कोशिश यही है कि दिसंबर के अंत तक सभी को वैक्सीन लग जाए। उसके बाद दो साल से 18 साल के बच्चों और किशोरों में भी टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा। डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक इस वक्त कुछ राज्यों में हालात जरूर उतने बेहतर नहीं हैं, जितना कि अनुमान लगाया डॉक्टर जा रहा था, लेकिन इन राज्यों में भी धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे।
देश में बच्चों को लगाई जाने वाली वैक्सीन की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। 18 साल तक के किशोरों को लगाने के लिए वैक्सीन के ट्रायल किए जा चुके हैं। लेकिन इसी दौरान आईसीएमआर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल कोविड टास्क फोर्स टीम की टीकाकरण करने वाली रिसर्च टीम की कुछ अलग सिफारिशें हैं। इस टीम के चेयरपर्सन डॉक्टर एनके अरोड़ा का कहना है बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन इस साल नहीं लगाई जा सकेगी।
उनका कहना है कि अगले साल जनवरी से लेकर मार्च के बीच में बच्चों को वैक्सीन दिए जाने का पूरा प्रस्ताव है। इसकी वजह बताते हुए डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि पहली और दूसरी लहर के दौरान जो शोध किए गए उससे इस बात का पता चला कि बच्चों को कोरोना का उतना खतरा नहीं है जितना उनके माता-पिता को है। यही वजह है कि भारत सरकार की पूरी कोशिश दिसंबर के अंत तक देश के सभी टारगेटेड ग्रुप को टीकाकरण करने की है।
डॉक्टर एनके अरोड़ा का कहना है 18 साल तक के किशोरों के लिए वैक्सीन के ट्रायल हो चुके हैं। चूंकि सिफारिश यही है कि दिसंबर के बाद शुरुआत के तीन महीनों में इस आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जाए। इसलिए अगर कोई बहुत इमरजेंसी नहीं होगी तो दो से 12 और 13 से 18 साल के आयु वर्ग का टीकाकरण 2022 की जनवरी से मार्च के बीच में शुरू किया जाएगा।
डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि चर्चा इस बात की भी जोरों पर है कि जब तक बच्चों में पूरी तरीके से टीकाकरण नहीं हो जाएगा, तब तक स्कूलों को नहीं खोला जाएगा। उनका कहना है संसदीय समिति ने जो अपनी सिफारिशें दी हैं उसमें उनके विशेषज्ञों की टीम भी शामिल है। डॉक्टर अरोड़ा का कहना है विशेषज्ञों की टीम की सिफारिश है कि स्कूल में आने वाले सभी स्टाफ का अगर टीकाकरण हो चुका है तो बच्चों के स्कूल खोलने में कोई भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन यह सारा फैसला संबंधित राज्यों पर निर्भर करता है।
देश में टीकाकरण को रफ्तार देने और उसकी पूरी व्यवस्था पर नजर रखने वाली कमेटी के चेयरपर्सन डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि उनकी पूरी कोशिश है कि दिसंबर के अंत तक सभी लोगों को वैक्सीनेट कर दिया जाए। देश में इस वक्त भारत समेत दुनिया के अलग-अलग देशों में तैयार की गई वैक्सीन को लगाने की अनुमति मिल चुकी है।
कुछ वैक्सीन के लिए प्रत्यावेदन की प्रक्रिया चल रही है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की पूरी कोशिश यही है कि दिसंबर के अंत तक सभी को वैक्सीन लग जाए। उसके बाद दो साल से 18 साल के बच्चों और किशोरों में भी टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा। डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक इस वक्त कुछ राज्यों में हालात जरूर उतने बेहतर नहीं हैं, जितना कि अनुमान लगाया डॉक्टर जा रहा था, लेकिन इन राज्यों में भी धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे।