कोरबा । जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कुटुरवां में सेप्टिक टैंक में छह उतर गए। कांक्रीट पक्का होने पर शटरिंग प्लेट खोलने 6 लोग करीब दस फीट गहरे चैंबर के गड्ढे में उतर गए थे। सांस लेने के लिए आक्सीजन नहीं मिलने से एक-एक कर सभी अपने होश खो बैठे। वहां चीख-पुकार मच गई और मदद को पहुंचे गांव के कुछ लोगों ने ढक्कन व दीवार तोड़कर निकालना शुरू किया। पांच लोगों को बेहोशी की हालत में सुरक्षित निकाल लिया गया पर दम घुट जाने से एक बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया।
दरअसल घर के पीछे शौचालय के पास ही निर्मित नए सेप्टिक टैंक में उतरे छह लोग उस वक्त सदमें में आ गए, जब उनका सांस लेना मुश्किल हो गया। लेमरू पुलिस थाना अंतर्गत बीहड़ वन क्षेत्र के घिरे इस गांव में उरांव आदिवासी बड़ी संख्या में निवास करते हैं। गांव में ही रहने वाले शिक्षक जोसेफ तिग्गा के घर पर शौचालय के लिए करीब दस फीट गहरे सेप्टिक टैंक का निर्माण किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार इसी के चैंबर की शटरिंग खोलने के लिए जोसेफ समेत गांव में रहने वाले बलराम, अजीत पाल, मानगुरू तिग्गा, जयप्रकाश तिर्की व गांव के ही बुजुर्ग कृषक छंदू किसपोट्टा (60) नीचे गड्ढे में उतर गए। चैंबर में जाने के लिए बस एक छोटी छेद थी।
नीचे जाने के कुछ देर बाद ही उन सभी की सांस फूलने लगी और वे छटपटाने लगे। दस फीट गहराई होने के साथ चैंबर का ढक्कन बंद होने से उन्हें सांस लेने के लिए आक्सीजन नहीं मिल पा रहा था। इसके चलते वे एक-एक कर बेहोश होने लगे। उनका शोर सुनने के बाद पहुंचे अन्य ग्रामीणों ने मदद का प्रयास शुरू किया। सबसे पहले उसे एक ओर से तोड़ा गया और तब जाकर नीचे फंसे लोग एक-एक कर बाहर निकाले गए। मिली जानकारी के अनुसार इनमें से पांच को बेहोशी की हालत में बाहर निकाल जान बचा ली गई।
पर छंदू किसपोट्टा के लिए मदद की जुगत करते काफी देर हो गई। दम घुटने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई। लोगों को बाहर निकालने के साथ ही डाक्टर को सूचित किया गया। लेमरू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जांच के लिए पहुंचे आरएमओ डा एलआर गौतम ने शेष पांच लोगों की हालत सामान्य बताई, जबकि उन्होंने छंदू किसपोट्टा को मृत घोषित कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार गड्ढे में मीथेन और कार्बन मोनो आक्साइड भर गया था। इसके चलते उन सभी सांस लेने में तकनीफ शुरू हुई और आक्सीजन नहीं होने के कारण उनका दम घुटने लगा।