कोरोना से जान जाने पर लोगों के डेथ सर्टिफिकेट पर इसे मौत के कारण के तौर पर दर्ज किया जाएगा। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तथ्यात्मक जानकारी देते हुए इसे लागू भी कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने नई गाइडलाइन तैयार की हैं, जिसके तहत कोरोना से संबंधित मौतों में आधिकारिक डॉक्यूमेंट जारी किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रवैया अपनाया था, जिसके चलते 10 दिन बाद सरकार ने यह गाइडलाइन्स जारी की हैं।
गाइडलाइन में क्या है शामिल?
सुप्रीम कोर्ट को भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ICMR की गाइडलाइन के मुताबिक, सिर्फ उन मौतों को कोरोना संबंधित माना जाएगा, जिनमें मरीज का RT-PCR टेस्ट, मॉलिक्यूलर टेस्ट, रैपिड-एंटिजन टेस्ट किया गया हो। या किसी हॉस्पिटल या घर में डॉक्टर ने जांच करके कोरोना संक्रमण की पुष्टि की हो। ऐसे मरीजों की मौत का कारण कोरोना मानकर डेथ सर्टिफिकेट में इसकी जानकारी का उल्लेख किया जाएगा। लेकिन ऐसे शख्स जो कोरोना संक्रमित हैं, पर जहरखुरानी, खुदकुशी, हत्या या एक्सीडेंट सहित अन्य दूसरे कारणों से उनकी मौत हो जाती है, तो उसे कोविड डेथ नहीं माना जाएगा।
गाइड लाइन में यह भी शामिल
भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए शपथ—पत्र के मुताबिक, ICMR के अध्ययन में यह बात आई है कि आमतौर पर कोरोना संक्रमित होने के 25 दिनों के अंदर मौत हो जाती हैं। नियमों में बदलाव करते हुए अब कोरोना टेस्ट की तारीख या कोरोना संक्रमित पाए जाने के दिन से 30 दिन के अंदर होने वाली मौतों को कोरोना संबंधित मौत माना जाएगा, चाहे मरीज की मौत अस्पताल या घर में बनी फैसिलिटी से बाहर हो।
गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी मौत के मामले में डेथ सर्टिफिकेट को लेकर किसी तरह की की समस्या आ रही है, तो या परिजन मृत्यु के कारण से संतुष्ट नहीं है और जारी मानकों से कवर नहीं होते, ऐसे मामलों में राज्य व केंद्रशासित प्रदेश जिला स्तर पर बनी एक कमेटी को सूचना दे सकते हैं, जिस पर सुधार की कार्रवाई की जाएगी।