सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार से कहा है कि कोरोना पीड़ित के आत्महत्या करने की स्थिति में उनको मुआवजा न देने के अपनी नीति पर वो फिर से विचार करें. जस्टिस एमआर शाह ने सरकार की ओर से दाखिल जवाब को देखने के बाद SG तुषार मेहता से कहा, ”आपने हलफनामे में कहा है कि आत्महत्या करने वालों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. इस दलील को नहीं स्वीकारा जा सकता. आप इस पर फिर से विचार करें.”
SG तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार इस पर पुनर्विचार कर अपने फैसले से कोर्ट को अवगत कराएगी. दरअसल सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अगर कोविड टेस्ट या अस्पताल में हुई किसी जांच में मरीज को कोरोना की पुष्टि होती है ,तो उसकी मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह कोरोना लिखी जाएगी पर आत्महत्या,हत्या,दुर्घटना से हुई मौत के मामले में भले ही मरने वाला कोरोना पॉजिटिव रहा हो, लेकिन डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह कोरोना नहीं लिखी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने इन बिंदुओं पर मांगी स्पष्टता
आज कोर्ट ने कोविड से होने वाली मौत के केस में ‘डेथ सर्टिफिकेट’ जारी करने को लेकर सरकार के दिशानिर्देशो पर सन्तोष जाहिर किया. हालांकि इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे बिंदु है, जिन पर स्पष्टता ज़रूरी है.
ये हैं वो पॉइंट-
1. आत्महत्या करने वाले कोविड पीड़ितों को भी मुआवजा मिले
2. राज्य सरकार दिशानिर्देशों पर कैसे अमल करेगी
3. वो सर्टिफिकेट जो पहले जारी हो चुके है और जिन पर घरवालों को आपत्ति है, उनका क्या होगा
4. जिले स्तर पर कमेटी( जिनकी मंजूरी से कोविड के प्रमाणपत्र जारी होंगे) कब तक गठित हो जाएगी.
5. घरवालों को कौन कौन से सर्टिफिकेट कमेटी के सामने रखने होंगे.
कोर्ट ने कहा कि सरकार इन बिंदुओं पर स्पष्ट जवाब दाखिल करें. अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) कोविड-19 से संबंधित मौतों को लेकर “आधिकारिक दस्तावेज” जारी करने के लिए गाइडलाइंस लेकर आए. शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने 3 सितंबर को मृतक के परिजनों को मौत के कारण का मेडिकल सर्टिफिकेट देने के लिए एक सर्कुलर जारी किया था.