हिंदुस्तान में एक चीज आजकल हर शहर हर कस्बे में देखी जा सकती है। और ये चीज है जिस्मफरोशी का धंधा । लेकिन देश में एक गांव ऐसा भी है जहां पर इस धंधे को पूरा परिवार मिलकर करता है।यानी एक पिता जिसके ऊपर अपने परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहती है वही अपनी बेटियों को दूसरे व्यक्ति के पास जिस्मानी रिश्ते बनाने के लिए लेकर जाता है। सुनने में बड़ा अजीब लगता है लेकिन ये सच है।
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कहां है ये गांव और क्यों है बदनाम ?
देश के प्रधानमंत्री रह चुके नरेंद्र मोदी इस राज्य के मुखिया रह चुके हैं। लेकिन उनके राज्य में इस तरह की तस्वीर उस वक्त भी थी जब वो मुखिया थे. खैर अब जब वो देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं तो गुजरात भी उन्हीं के देश का एक राज्य है। यहां के बांसकांठा जिले का वाडिया गांव जिस्मफरोशी के लिए मशहूर है। इस गांव में बुनियादी सुविधाओं जैसी कोई भी चीज नहीं है। ना सड़क है ना बिजली और न ही पीने के लिए साफ पानी का कोई कनेक्शन । इस गांव में रहने वाली औऱतों को देश के विकास से अर्थव्यवस्था से आने वाले कल से कोई मतलब नहीं है। गांव में पैदा हुई औरतों की किस्मत उस दिन लिख दी जाती है जब वो थोड़ा सा होश संभालने लगती है।क्योंकि बस इन्हें फिर रोजाना बड़ी गाड़ियों में आने वाले अपने ग्राहक से मतलब रहता है।
धंधेवालियों का गांव
राजधानी गांधीनगर से क़रीब 250 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद इस गांव में मर्दों का बस एक ही काम है वो है औरत की दलाली। कई बार ये मर्द अपने परिवार की औरतों के लिए खुलेआम ग्राहकों को फंसाते हैं। इस गांव के बाशिंदों को यायावर जनजाति या सरनिया जनजाति का कहा जाता है। गुजरात के लोगों का मानना है ये सभी राजस्थान से आकर यहां पर बसे। गांव में रहने वाली पेशा छोड़ चुकी महिलाओं की माने तो जब लड़की दस साल की होती है तो सबसे पहले उसे इस दलदल में उतार दिया जाता है। कई महिलाओं ने अभी तक शादी नहीं की है और अपनी बेटियों को भी इसी धंधे में उतारकर अपना जीवन बसर कर रहीं हैं।
कई घरों में अजीब है स्थिति
“वाडिया में कई ऐसे घर आज भी हैं. जहां पर मां, बेटी और उसकी नानी के ग्राहक एक ही वक्त में एक ही साथ एक ही घर में संबंध बना रहे होते हैं। कई बार कच्ची उम्र में ही लड़कियां मां बन जाती है। बच्चा गिराना इसलिए भी मुमकिन नहीं होता क्योंकि कम उम्र में ये खतरनाक है। साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने से यहां की महिलाएं बच्चों से दूरी रखने के तरीकों से भी अनजान हैं। बासकांठा जिले में वाडिया एक प्रतिबंधित नाम है। इस गांव के बाहर ज़्यादातर लोग कभी यह नहीं कहते कि वो वाडिया से हैं नहीं तो लोग उन्हें नीची नज़र से देखेंगे। यदि कोई औरत अपने बच्चों ख़ासकर बेटियों की बेहतर ज़िंदगी की ख़्वाहिश रखती भी हैं तो उसके पास कोई विकल्प नहीं होता है।”
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