नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आज 76 वां जन्मदिन है। दलित परिवार में जन्मे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कोली समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन रामनाथ कोविंद का जन्म साल 1945 में कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौख में हुआ था। राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल थे। बड़ी बात यह है कि रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले राष्ट्रपति हैं।
देश के प्रथम नागरिक, माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी को जन्मदिन के अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आपके अच्छे स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की कामना करता हूँ। @rashtrapatibhvn
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 1, 2021
आज उनके जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की है। राष्ट्रपति कोविंद के जन्मदिन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टवीट कर उन्हें जन्मदिन पर शुभकमानाएं प्रेषित की है।
भाजपा में सबसे बड़े दलित नेता
भाजपा दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके राष्ट्रपति कोविंद पार्टी में विभिन्न पदों को सुशोभित कर चुके हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर उन्होंने सेवाएं दी थीं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के कोविंद उत्तरप्रदेश में दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं।
कोविंद का राजनीतिक सफर
राष्ट्रपति चुने जाने से पहले रामनाथ कोविंद ने कई राजनीतिक पदों को संभाला है। साल 1990 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया, जिसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद 1993 और 1999 में पार्टी ने कोविंद को राज्यसभा भेज दिया। यही दौर था जब कोविंद भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
सुप्रीम कोर्ट में वकालत
भले ही दलित परिवार से थे, लेकिन कोविंद ने शिक्षा को अपने जीवन में खास महत्व दिया और एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद आईएएस की तैयारी में जुट गए। यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने नौकरी में भाग्य नहीं आजमाया, क्योंकि आईएएस कैडर नहीं मिला था। उन्होंने वकालत करने का फैसला किया। रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की। 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की।