भारत सरकार के नौ रत्नों में से एक सेल की इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) पर गैर कानूनी तरीके से कॉमर्शियल वाहन चलाने का आरोप लगाया गया है। परिवहन विभाग ने करीब एक महीने पहले प्लांट के बाहर चेकिंग लगाकर 44 कॉमर्शियल वाहनों को जब्त कर लिया था। इसमें से भिलाई स्टील प्लांट के 14 वाहन थे। जब इन वाहनों के फिटनेस, परमिट और सेल लेटर जैसे दस्तावेज देने के लिए RTO ने BSP प्रबंधन को पत्र लिखा तो एक महीने बाद भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा सके। BSP के जिम्मेदार अधिकारी RTO को यह तक नहीं बता पा रहे हैं कि जब्त की गई गाड़ियां उन्होंने खुद खरीदी या फिर कहीं से चोरी करके लाई गई हैं।
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भारत सरकार के नौ रत्नों में से एक सेल की इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) पर गैर कानूनी तरीके से कॉमर्शियल वाहन चलाने का आरोप लगाया गया है। परिवहन विभाग ने करीब एक महीने पहले प्लांट के बाहर चेकिंग लगाकर 44 कॉमर्शियल वाहनों को जब्त कर लिया था। इसमें से भिलाई स्टील प्लांट के 14 वाहन थे। जब इन वाहनों के फिटनेस, परमिट और सेल लेटर जैसे दस्तावेज देने के लिए RTO ने BSP प्रबंधन को पत्र लिखा तो एक महीने बाद भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा सके। BSP के जिम्मेदार अधिकारी RTO को यह तक नहीं बता पा रहे हैं कि जब्त की गई गाड़ियां उन्होंने खुद खरीदी या फिर कहीं से चोरी करके लाई गई हैं।जानकारी के अनुसार, 4 सितंबर 2021 को दुर्ग ARTO मृत्युंजय पटेल ने एक महीने पहले भिलाई स्टील प्लांट के बाहर औचक चेकिंग लगाई थी। इस बीच अलग-अलग प्रकार के 44 कॉमर्शियल वाहनों को दस्तावेजों के अभाव के चलते जब्त कर लिया गया था। इनमें से 30 वाहन प्राइवेट व्यक्तियों के थे, जो प्लांट के अलग-अलग कामों में लगे हुए थे। इन सभी वाहन मालिकों के द्वारा दस्तावेज जमा करने, टैक्स देने और जुर्माना कार्रवाई करके RTO ने उन्हें छोड़ दिया। बचे हुए 14 कॉमर्शियल वाहन जो कि भिलाई स्टील प्लांट के हैं अभी तक नहीं छुड़ाए गए हैं। सभी वाहन खड़े-खड़े खराब होते जा रहे हैं।संपत्ति भिलाई स्टील प्लांट की, दस्तावेज नहींदुर्ग परिवहन विभाग के SI अतुल तिवारी ने कहा कि उनके द्वारा जब्त की गई जितनी भी गाड़ियां BSP प्रबंधन की कही जा रही हैं अभी तक उनके दस्तावेज नहीं दिए गए हैं। यहां तक की 5 गाड़ियों के तो सेल लेटर तक नहीं हैं। सभी की सभी गाड़ियां बहुत पुरानी हैं। कोई गाड़ी 1968 की है तो कोई 1970 से सन 2000 के बीच की हैं।कानून को अनदेखा कर किया जा रहा कार्यपरिवहन विभाग के अनुसार, कॉमर्शियल वाहनों का रजिस्ट्रेशन अधिकतम 15 साल के लिए होता है। जिसके बाद उस गाड़ी की कंडीशन देकर फिटनेस और रजिस्ट्रेशन की अवधि नियम के अनुसार बढ़ाई जाती है। बता दें कि बिना फिटनेस और रजिस्ट्रेशन के वाहन चलाना गैर कानूनी है। इस तरह से यह साफ जाहिर है कि इतना बड़ा और छत्तीसगढ़ की शान कहा जाने वाला भिलाई इस्पात संयंत्र कानून को अनदेखा कर वाहनों का संचालन कर रहा है।प्रबंधन के पास नहीं है कोई जवाबपरिवहन विभाग के मुताबिक, भिलाई इस्पात संयंत्र के द्वारा बिना सेल लेटर, फिटनेस, परमिट, टैक्स अदा किए, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के बिना, मानक से अधिक पुराने कॉमर्शियल वाहनों का संचालन किया जा रहा है। जब इस बारे में भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसंपर्क महाप्रबंधक सुबीर दरिपा से बात की गई तो उन्होंने इस संबंध में कोई भी जानकारी होने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से इसका जवाब मांगा है। जैसे ही वहां से जवाब आता है वे अधिकृत बयान दे देंगे।