नई दिल्ली। देश में गणेश चतुर्थी से लेकर दिवाली तक खरीदी—बिक्री का सबसे जोरदार वक्त होता है। इसी समय में ज्यादातर लोग प्राइवेट और कमर्शियल उपयोग के लिए गाड़ियां खरीदने पर जोर देते हैं। लेकिन इन दिनों देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वाहनों की बिक्री और खरीदी दोनों पर ही ब्रेक लग गया है। इसके पीछे वजह एक सेमीकंडक्टर है, जिसके बगैर तमाम वाहन सिवाय डब्बा के और कुछ नहीं है।
ताजा जानकारी के मुताबिक देश की सभी वाहन निर्माता कंपनी का हाल एक जैसा है। जिनके पास कुछ स्टॉक है, वे निर्मित वाहनों में उसे लगा तो रहे हैं, लेकिन मांग के अनुरुप गाड़ियां फैक्ट्री से शो—रूम तक नहीं पहुंच रही है। बुकिंग कराने के बावजूद लोगों को तारीख—पर—तारीख मिल रही है। शो—रूम संचालक ग्राहकों को किसी बात का जवाब नहीं दे पा रहे हैं, तो दूसरी तरफ वेटिंग पहले जहां महीनेभर की थी, बढ़कर 3 माह और अब 6 माह हो गई है।
वाहनों की बिक्री में जो रिकार्ड गिरावट आई है और जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक सितंबर में सभी ऑटो मोबाइल कंपनियों ने 1,60,070 पैसेंजर व्हीकल की बिक्री की है। ये पिछले साल कोरोना के बावजूद सितंबर में हुई 2,72,027 पैसेंजर व्हीकल की बिक्री से 41.2% कम है। SIAM का कहना है कि डोमेस्टिक मार्केट में भी पैसेंजर व्हीकल की सेल अगस्त के मुकाबले सितंबर में 30.7% गिरी है।
केवल चार पहिया ही नहीं, दोपहिया वाहन कंपनियों की स्थिति भी ऐसी ही है। जिसे लेकर पूरे देश में वाहनों की कमी होने लगी है। सेमीकंडक्टर से जुड़ी यह समस्या कब तक दूर हो पाएगी, फिलहाल इस बात का सही जवाब सामने नहीं आ पा रहा है, जिसकी वजह से अनिश्चितता दूर नहीं हो पा रही है।