सूरजपुर। जिले के प्रतापपुर में हाथियों की मौत की खबर सामने आई है। दो दिन में दो हाथियों की मौत हुई है. जिसे लेकर वन विभाग के पास कोई जवाब नहीं है । मरने वाली में एक गर्भवती हथनी शामिल थी जिसेक बाद एक और हथनी की मौत हो गई है। दो दिन से लगातार हाथियों के मौत ने वन विभगा को सवाल के घेरे में खड़ा कर दिया है। समय रहते वन विभग इसे लेकर सजगता दिखाते तो यह नहींआते। जंगल में गर्भवती हथनी प्रसव की दर्द से आवाजे लगाते रही इसकी आवाज ग्रामीणों ने भी सुनी लेकिन वन विभग को इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
हथिनी के मरने से वन विभाग के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है. वन अधिकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ रहे है. एक दिन पहले मौत हुई गर्भवती हथिनी रात भर प्रसव पीड़ा से कराहती रही, उसकी कराहने की आवाजें गांव वालों ने सुनी. लेकिन वन विभाग के कानों तक यह आवाज नहीं पहुंची.
सूरजपुर डीएफओ जेआर भगत ने बताया कि कल जिस गर्भवती हथिनी की मौत हुई, उसके लिवर में इन्फेक्शन हो गया था. आज मृत हथिनी के मुंह से झाग देखने को मिला है. पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगा की मौत की वजह क्या है ? उन्होंने कहा कि हमें खुद सोचना पड़ रहा है कि आखिर किस कारण से दो दिन में दो हथिनी की मौत हुई है. मामले की जांच की जा रही है.
गौरतलब है कि इन दिनों प्रतापपुर क्षेत्र के गणेशपुर इलाके में 18 हाथियों का दल विचरण कर रहा है. ऐसे में हाथियों की निगरानी की जिम्मेदारी तो अमले की होगी, लेकिन इनकी कोई देखभाल नहीं की जा रही है. अपनी लचर कार्यशैली के चलते वन विभाग के अधिकारियों के पास हाथियों के मौत के कारणों का कोई ठोस जवाब नहीं है. हथिनियों की मौत की वजह दूषित पेयजल है या कुछ और है ? इसका खुलासा तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा.