प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि भारत एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। जिसका मुझे गर्व है। PM मोदी ने कहा कि आप सभी को नमस्कार। कोटि-कोटि नमस्कार। मैं आप सभी को कोटि-कोटि नमस्कार इसलिए भी कह रहा हूं कि 100 करोड़ वैक्सीन डोज के बाद आज देश नए उत्साह, नई ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है। हमारे वैक्सीन कार्यक्रम की सफलता, भारत के सामर्थ्य को दिखाती है।
मोदी ने कहा कि मैं जानता था कि हमारे हेल्थकेयर वर्कर्स देशवासियों के टीकाकरण में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने इनोवेशन के साथ अपने दृढ़ निश्चचय से मानवता की सेवा का नया मानक स्थापित किया। उन्होंने तमाम चुनौतियों को पार करते हुए सुरक्षा कवच दिया। एक से बढ़कर एक अनेक प्रेरक उदाहरण हमारे सामने हैं।
लौहपुरुष को नमन करता हूं
प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरे प्यारे देशवासियों आप जानते हैं कि अगले रविवार 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जी की जयंती है। मैं लौहपुरुष को नमन करता हूं। 31 अक्टूबर को हम राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं। हम एकता का संदेश देने वाली किसी न किसी एक्टिविटी से जरूर जुड़ें। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी उरी से लेकर पठानकोट तक बाइक रैली निकालकर एकता का संदेश दे रहे हैं।”
#MannKiBaat October 2021. Hear LIVE. https://t.co/TvJuriEQAq
— Narendra Modi (@narendramodi) October 24, 2021
ऐसी रंगोली बनाने की अपील
मोदी ने कहा, “सरदार साहब कहते थे कि हम अपने एकजुट उद्यम से ही देश को नई महान ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। अगर हममें एकता नहीं हुई तो हम खुद को नई-नई विपदाओं में फंसा देंगे। यानी राष्ट्रीय एकता है तो ऊंचाई है, विकास है। हमारी आजादी का आंदोलन तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आप कल्पना करिए, जब आजादी के आंदोलन से जुड़ी रंगोली बनेगी, लोग अपने द्वार पर, दीवार पर, किसी आजादी के मतवाले का चित्र बनाएंगे, आजादी की किसी घटना को रंगों से दिखाएंगे, तो अमृत महोत्सव का भी रंग और बढ़ जाएगा।”
बिरसा मुंडा ने संस्कृति और जड़ों पर गर्व करना सिखाया
नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगले महीने, 15 नवंबर को हमारे देश के महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म-जयंती आने वाली है। भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उन्होंने हमें अपनी संस्कृति और जड़ों की प्रति गर्व करना सिखाया।
उन्होंने कहा कि 1947-48 में जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार का सार्वभौमिक घोषणापत्र तैयार हो रहा था तो इस घोषणा में लिखा जा रहा था कि सभी पुरुषों को समान बनाया गया है। लेकिन भारत के एक प्रतिनिधि ने इस पर आपत्ति जताई और फिर वैश्विक घोषणापत्र लिखा- सभी इंसानों को समान बनाया गया है।