रायपुर। छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी हमले को लेकर एक बार बवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है, तो वहीं केंद्र सरकार पर हमलावर भी हो गई है। दरअसल, न्यायिक जांच आयोग ने झीरम मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार के हवाले करने के बजाय, उसे राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंप दिया हैं। कांग्रेस इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए इसे मान्य प्रक्रिया के विपरीत बताया है।
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बता दें कि झीरम घाटी हमले की जांच न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के नेतृत्व में गठित न्यायिक जांच आयोग कर रहा था, जिसने शनिवार शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। बताया जा रहा है, उनके बिलासपुर से निकलने से पहले ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई है।
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सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सामान्य तौर पर जब भी किसी न्यायिक जांच आयोग का गठन होता है वह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है। झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है। जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था। आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नहीं है, इसमें समय लगेगा। जब रिपोर्ट तैयार नहीं थी, आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गई यह भी शोध का विषय है।