बिलासपुर। अरपा के किनारे सालों से बसे लोगों को अब अपना घर मिल चुका है। बीते 15 साल से लंबित प्रोजेक्ट को जहां प्रशासनिक उड़ान मिली है, तो वहीं सालों से झोपड़ियों में गुजर-बसर करने वाले गरीबों को पक्का आशियाना मिल गया है। यह सब संभव हो पाया है कि बिलासपुर के नए कलेक्टर सारांश मित्तर की पदस्थापना के तत्काल बाद। दरअसल, उन्होंने गरीबों की पीड़ा और लंबित योजना के महत्व को समझा। इन दोनों के बीच सामंजस्य का रास्ता निकाला, जिसका परिणाम है कि करीब 253 परिवार अब अपना घर पाकर खुश हैं। वहीं उन्होंने बताया कि द्वितीय चरण में करीब 350 परिवारों को और विस्थापित किया जाएगा, जिसके लिए जहग को चिन्हित कर लिया गया है।
इस बड़े और बहुप्रतिक्षित योजना के संबंध में कलेक्टर सारांश मित्तर ने ’’ग्रेंड न्यूज’’ से चर्चा में बताया कि बिलासपुर में पदस्थापना मिलते ही उन्हें सबसे पहले इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने बताया कि अरपा के दोनों तरफ करीब 1.8 किमी लंबा पथ तैयार होना है, जिसमें एक तरफ फोरलेन तो दूसरी तरफ सिक्सलेन शामिल है। जिससे यहां की सुंदरता बढे़गी, तो दूसरी तरफ अरपा को प्रदूषण से मुक्त किया जा सकेगा। लिहाजा जरूरी है कि यहां दोनों तरफ की बसाहट को हटाया जाए। लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि उन्हें आखिर हटाया कैसे जाए, लिहाजा उन्हें विस्थापित करने सबसे पहले व्यवस्था तलाशी गई और फिर इमली भाटा में अटल आवास योजना (आईएचएसडीपी) के तहत पुर्नस्थापित करने का निर्णय लिया गया।
कलेक्टर मित्तर ने बताया कि अब सभी 253 परिवार अपना घर पाकर पूरी तरह से खुश हैं। वहीं अरपा का दोनों हिस्सा अब खाली हो चुका है, इससे लंबित योजना को जल्दी शुरू किया जा सकेगा और पूरी गति दी जाएगी, ताकि इसका जल्द लाभ हर किसी को मिल सके। कलेक्टर मित्तर ने बताया कि निर्माण के बाद अरपा के दोनों तरफ सघन वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा, ताकि प्रदूषण निवारण हो सके। इसके अलावा अरपा में बैराज भी बनाया जाएगा, जिससे पानी के अनावश्यक बहाव को रोका जा सके और उसका उपयोग प्रदेश के लिए किया जा सके।
बहरहाल कलेक्टर सारांश मित्तर ने विस्थापन के आदेश तो दिए, लेकिन आशियाना बिखरने का परिणाम क्या होगा, इससे वे भलीभांति परिचित थे, लिहाजा उन्होंने बगैर समय गंवाए, लोगों के विस्थापन का भी पूरा प्रबंध करा दिया था। यही वजह है कि लोगों को दर-दर भटकने की नौबत नहीं आई और अब अरपा किनारे बसने वालों को इमली भाटा में अपना घर भी मिल गया है।