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कल खेले गए मैच में धनंजय ने जादुई खेल का प्रदर्शन करते हुए अपने विपक्षी को 42 वीं चाल में हार मानने के लिए विवश कर दिया। धनंजय ने शुरुआती चालों से ही आक्रामक शैली को अपनाते हुए धावा बोलना शुरू कर दिया था। दोनों तरफ के प्यादों को सेंटर में लाने के बाद 14 वीं चाल में अपने एक घोड़े को विपक्षी के हाथों पीटने दिया और 17 वीं चाल में उनके ऊंट को प्यादे से पीटकर न सिर्फ भरपाई की बल्कि उनके एक हाथी को भी मारकर बढ़त बना ली। इसी तरह से 41वीं चाल में एफ फ़ाइल के प्यादे को चलकर अपने एक हाथी को बेजोर रखते हुए मात का एक ट्रेप बनाया किंतु अपोनेंट के ट्रेप में नहीं फसने पर अपने दूसरे हाथी की बलिदानी दे दी।अंततः 46 वीं चाल में शरण राव ने हार मान लेना ही उचित समझा क्योंकि न तो इनके प्यादे को वजीर बनने से रोक पा रहे थे न ही जंग जीतने के लिए पर्याप्त मोहरे थे। अंत खेल में धनंजय के पास एक हाथी और ऊंट की स्पष्ट बढ़त थी।उक्त स्पर्धा में धनंजय के परफॉर्मेंस को देखकर लगता है कि उन्हें अब चैंपियन बनने से कोई नही रोक सकता। हाल ही में स्पेन जाने से पूर्व धनंजय ने हैदराबाद में भी उम्दा खेल का प्रदर्शन करते हुए ऑल इंडिया ओपन रेटिंग में तीसरा स्थान प्राप्त कर प्रदेश को गौरवान्वित किया था।
बार्सिलोना ( स्पेन ) में चल रही 43 वीं इंटरनेशनल चेस टूर्नामेंट में कल अपने अपोनेंट शरण राव को काले मोहरे से खेलकर मात देते हुए 6.5 अंको के साथ एकल बढ़त बना ली है। 9 चक्रों में सम्पन्न होने जा रही इस स्पर्धा में केवल एक चक्र शेष है। 9 वें चक्र में धनजंय का मुकाबला अपने हमवतन खिलाड़ी ओजस कुलकर्णी के मध्य होगा। चैंपियन बनने के लिए धनंजय को यह मुकाबला जीतना होगा। चूंकि फ्रांस के फीडे मास्टर पिगेट अलेक्जेंड्रे भले ही धनंजय से आधा अंक पीछे चल रहे है किंतु 6 अंकों के साथ दूसरे टेबल पर बने हुए हैं।
कल खेले गए मैच में धनंजय ने जादुई खेल का प्रदर्शन करते हुए अपने विपक्षी को 42 वीं चाल में हार मानने के लिए विवश कर दिया। धनंजय ने शुरुआती चालों से ही आक्रामक शैली को अपनाते हुए धावा बोलना शुरू कर दिया था। दोनों तरफ के प्यादों को सेंटर में लाने के बाद 14 वीं चाल में अपने एक घोड़े को विपक्षी के हाथों पीटने दिया और 17 वीं चाल में उनके ऊंट को प्यादे से पीटकर न सिर्फ भरपाई की बल्कि उनके एक हाथी को भी मारकर बढ़त बना ली। इसी तरह से 41वीं चाल में एफ फ़ाइल के प्यादे को चलकर अपने एक हाथी को बेजोर रखते हुए मात का एक ट्रेप बनाया किंतु अपोनेंट के ट्रेप में नहीं फसने पर अपने दूसरे हाथी की बलिदानी दे दी।