बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने हुक्का बारों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसके पीछे राज्य सरकार की मंशा नशे की आगोश में फंसते युवाओं को बाहर निकालना था, लेकिन कानून के अभाव के चलते बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्रतिबंध पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही राज्य सरकार से सप्ताहभर के भीतर जवाब भी तलब किया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के युवाओं के भविष्य को ध्यान रखते हुए उन्हें नशे का आदी बनने से बचाने के लिए 29 सितंबर को आईजी—एसपी कान्फ्रेंस के दौरान प्रदेश में संचालित हुक्काबारों पर प्रतिबंध लगाने और सख्ती बरतने का निर्देश दिया था। दो राय नहीं कि इसके पीछे प्रदेश के मुखिया की सोच सकारात्मक थी, लेकिन उस पर अब कानूनी अड़चन आ गया है।
कोटपा एक्ट 2003 के तहत तम्बाकू उत्पाद के वितरण पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाया जा सकता। इसमें कानूनी संशोधन की आवश्यकता है, जिसके लिए राष्ट्रपति की अनुमति और अनुशंसा की आवश्यकता होती है, वहीं इसका प्रकाशन राजपत्र में कराया जाना आवश्यक होता है। इस तथ्य के आधार पर रायपुर में जिन हुक्काबारों को प्रतिबंध संबंधित नोटिस जारी किया गया था, उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
उस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट, बिलासपुर ने कोटपा एक्ट 2003 के तहत हुक्का बारों पर लगाए गए प्रतिबंध पर फैसला दे दिया है, जिसके तहत लगाई गई रोक को हटा दिया गया है।
बता दें कि ऐसी स्थिति का सामना पंजाब सरकार को भी करना पड़ा था, तब पंजाब सरकार ने इस मामले को लेकर राष्ट्रपति से अनुमति प्राप्तकर राज्य में पॉलिसी लाई थी, जिसे विधानसभा में पेश किया और पारित करने के बाद राज्य में लागू कर दिया गया था। छत्तीसगढ़ सरकार भी इस माध्यम से प्रदेश में ऐसी पॉलिसी को लागू करने में सक्षम है।