दुनियाभर के रिसर्चर्स इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि क्या मौजूदा कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) हमें कोरोनावायरस (Coronavirus) के नए ओमीक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) से बचा सकते हैं. इसमें सबसे बड़ी दुश्वारी यह है कि वायरस अपने जीनोम के महत्वपूर्ण हिस्सों में इतना अधिक म्यूटेशन हो गया है कि यह हमें वायरस के पुराने वेरिएंट से बचाने के लिए तैयार किये गए कोविड वैक्सीन को भी मात दे सकता है, जिससे पूरी दुनिया को विनाशकारी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है.
वैसे, अभी से बहुत चिंता करना ठीक नहीं है और वैक्सीन ओमीक्रोन से भी हमारी रक्षा कर सकते हैं, जैसा उन्होंने पहले के वेरिएंट्स में किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि हमें स्थिति का आकलन करने में दो से चार सप्ताह और लग सकते हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक क्या खोज रहे हैं और उन्हें निष्कर्ष पर पहुंचने में कितना समय लगेगा, इसे निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है।
किस बात की है चिंता?
ओमीक्रोन से दुनियाभर में जो हलचल मची है, उसका एक कारण कोविड को जन्म देने वाले वायरस सार्स-कोव-2 के जीनोम में नए बदलावों को माना जा रहा है. दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और दुनियाभर में तेजी से सामने आए ओमीक्रोन के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 26 नवंबर को ओमीक्रोन को ‘चिंताजनक वेरिएंट’ करार दिया. ओमीक्रोन अब कई अन्य देशों में भी फैल चुका है. हम पहले ही अन्य वेरिएंट में कुछ ओमाइक्रोन म्यूटेशन देख चुके हैं.
इनमें से कुछ म्यूटेशन एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने के प्रतिरोध से जुड़े हुए हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ये म्यूटेशन कोविड-19 वैक्सीन से हासिल इम्यून सिस्टम के जरिये पहचाने जाने से बचने में वायरस की मदद करते हैं. जबकि कुछ म्यूटेशन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस के संक्रमण को बढ़ाने से भी जुड़े हैं. बहरहाल, ओमीक्रोन में कई विचित्र म्यूटेशन हैं. यह वुहान से निकले वायरस की तुलना में लगभग 30 म्यूटेशन हैं. वायरस के डेल्टा वेरिएंट में केवल 10 म्यूटेशन देखने को मिले हैं. लिहाजा, आप बदलावों के पैमाने का अंदाजा लगा सकते हैं.
कई म्यूटेशन अलग-अलग होने के बजाय एक-दूसरे के साथ कैसे जुड़े हैं, इसका पता लगाना यह समझने के लिए महत्वपूर्ण होगा कि अन्य वेरिएंट्स की तुलना में ओमीक्रोन कैसे व्यवहार करता है. एक ओर नतीजों का इंतजार किया जा रहा है, तो दूसरी ओर इस हफ्ते कुछ वैक्सीन निर्माताओं ने भी अपनी बात रखी.
ओमीक्रोन का प्रारंभिक चरण
रिसर्चर्स ओमीक्रोन संक्रमण का पता लगाने के लिये लोगों के नमूने ले रहे हैं, जिसकी अभी लैब में जांच चल रही है. अभी रिसर्चर्स के पास रिसर्च के लिये पर्याप्त विषयवस्तु नहीं है. इस पूरी प्रक्रिया को संपन्न होने में समय लग सकता है क्योंकि शुरुआत में आपके पास थोड़ी मात्रा में वायरस के नमूने मौजूद होते हैं.
खुद ‘वायरस’ तैयार करना
किसी भी वायरस के बारे में पता लगाने का एक और तरीका होता है उसके जैसा वायरस तैयार करना. इसके लिये रिसर्चर्स को केवल सार्स-कोव-2 के जीनोम सीक्वेंस की जरूरत होगी. इसमें रोगी के नमूनों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती. वे प्रयोगशाला में आनुवंशिक रूप से भी वायरस भी पैदा कर सकते हैं, जिन्हें ‘स्यूडोटाइप्ड वायरस’ कहा जाता है. इनमें केवल सार्स-कोवि-2 क स्पाइक प्रोटीन की जरूरत होती है. इन सभी विकल्पों पर अमल करने और समझने में समय लगता है.