ओमीक्रॉन वेरिएंट से तीसरी लहर आने का अनुमान फरवरी में बताया जा रहा है। विशेज्ञों द्वारा यह बात का अनुमान लगाया गया है। यह महामारी का सबसे जायदा प्रभाव बच्चो पे होने वाला है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोनावायरस में रूप बदलने की प्रवृत्ति होती है, जो हानिकारक हो सकता या लाभकारी, या हो सकता है इसका कोई प्रभाव ही नहीं पड़े। इसलिए वायरस की जांच के लिए जीनोम सीक्वेंस का ट्रैक रखना महत्वपूर्ण है। जीनोम डेटा हेल्प ट्रैक कम्युनिटी स्प्रेड को रोकने में मददगार है।
आईआईटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से भारत में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में आ सकती है। हालांकि अनुमान है कि यह दूसरी लहर के मुकाबले कमजोर रह सकता है। आईआईटी के डाटा वैज्ञानिक दल की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार तीसरी लहर में एक से डेढ़ लाख तक अधिकतम मामले प्रतिदिन आ सकते हैं। अध्ययन दल में शामिल डाटा वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस बड़े आंकड़े के पीछे ओमिक्रॉन ही हो सकता है।
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले नौ नवंबर को कोरोना के इस घातक वैरिएंट के संक्रमण के बारे में पता चला था, तब से अबतक यह कई देशों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। इतना ही नहीं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में यह कम्युनिटी स्प्रेड जैसी स्थिति का कारण बन चुका है। यूके के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने संसद में बताया कि देश में कोरोना के नए वेरिएंट के 336 केस सामने आ चुके हैं. इंग्लैंड में इसका कम्युनिटी स्प्रेड हो रहा है। भारत की बात करें तो पिछले तीन दिनों में यहां भी तेजी से मामलों में इजाफा देखने को मिला है। यहां अब तक 23 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।