नई दिल्ली। भारत में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को आगाह किया है। कहा है कि मेडिकल गाइड लाइन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में जरा भी कोताही ना बरते, वरना बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। डब्लूएचओ ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी का भीषण अप्रत्यक्ष असर पड़ने का अंदेशा है। उसके मुताबिक कोरोना बीमारी की तुलना में महामारी की वजह से पैदा हुए खराब हालात की वजह से अधिक नुकसान हो सकता है। यह भी कहा है कि कोरोना वायरस महामारी का अप्रत्यक्ष असर सबसे अधिक महिलाओं, बच्चों और किशोरों पर पड़ सकता है।
डब्लूएचओ प्रमुख टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा कि कोरोना के अप्रत्यक्ष असर से इस खास समूह पर जो बुरा प्रभाव पड़ेगा, वह कोविड-19 वायरस से होने वाली मौतों से भी भयानक हो सकता है। उन्होंने ने कहा कि कई जगहों पर महामारी की वजह से स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव बढ़ गया है। इसकी वजह से प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़ी दिक्कतों से महिलाओं की मौत का खतरा बढ़ सकता है। यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड की एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर नतालिया कनेम ने भी इस हालात को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ‘महामारी के भीतर एक महामारी’ पैदा हो गई है।
नतालिया कनेम के मुताबिक हर 6 महीने के लॉकडाउन की वजह से 4.7 करोड़ महिलाएं कंट्रासेप्शन की सुविधा खो देंगी। इसकी वजह से 6 महीने के लॉकडाउन में बिना इच्छा के 70 लाख बच्चों का जन्म होगा। इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के प्रेसिडेंट ग्रैब्रिएला कुवस बैरन ने भी इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि महामारी की वजह से 4 से 6 करोड़ बच्चों पर भीषण गरीबी का खतरा पैदा हो गया है।
दुनिया के कई देशों में महामारी की वजह से स्कूल कई महीने से बंद हैं। दुनिया में कोरोना वायरस के अब तक 76.5 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। 4.25 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने सुझाव दिया है कि प्रभावित देशों की सरकार आने वाली परिस्थितियों को देखकर अभी से योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे।