हार्ट ट्रांसप्लांट के बारे में तो हम सभी ने सुना है। इंसान में इंसानी दिल का ट्रांसप्लांटेशन तो होता है, लेकिन क्या कभी इंसान में जानवर के दिल के ट्रांसप्लांटेशन के बारे में सुना है? जी हां एक शख्स के अंदर सुअर का दिल लगाया गया है। अमेरिकी सरजनों ने इसे मुमकिन कर दिखाया है। उन्होंने 57 साल के एक व्यक्ति में जैनेटिक रूप से बदले गए एक सुअर का दिल ट्रांसप्लांट कर इतिहास बना दिया है।
हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के के क्षेत्र लिए ये किसी उपलब्धि से कम नहीं है। साथ ही दुनियाभर के डॉक्टरों के लिए भी ये किसी बदलाव से कम नहीं है। इससे हृदय की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लाखों लोगों के दिल के प्रत्यारोपण का नया रास्ता खुल गया है। साथ ही इससे अंगदान में आ रही कमी का हल भी निकल सकता है। अमेरिका के दवा नियामक (drug regulator) एफडीए ने इस सर्जरी के लिए नए साल के पहले इसकी मंजूरी दी थी।
मील का पत्थर बनेगी ये सर्जरी
दुनिया की ये पहली और ऐतिहासिक सर्जरी बीते शुक्रवार को हुई। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल स्कूल ने सोमवार को को बयान जारी करते हुए इस सर्जरी के बारे में बताया। यह सर्जरी पशुओं के अंगों के इंसान में ट्रांसप्लांट की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
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मरीज की सेहत में सुधार
यूनिवर्सिटी के बयान के मुताबिक पीड़ित डेविड बेनेट की हालत नाजुक थी। इसलिए उसकी जान बचाने के लिए जैनेटिक रूप से बदले गए सुअर के दिल को ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया गया। सर्जरी के बाद अब डेविड की हालत में सुधार हो रहा है। डॉक्टर्स उस पर नजर बनाए हुए हैं और देख रहे हैं कि नया अंग किस तरह से काम कर रहा है। बता दें कि बेनेट का परंपरागत तरीके से होने वाला हार्ट ट्रांसप्लांटेशन नहीं हो सकता था, इसलिए अमेरिकी डॉक्टरों ने ये बड़ा फैसला लेकर उसमें सुअर का दिल लगा दिया है।
सर्जरी कराना ही था आखरी रास्ता
जानकारी के मुताबिक मैरीलैंड के रहने वाले डेविड ने सर्जरी के एक दिन पहले कहा था कि उसके सामने दो ही रास्ते थे। उन्होंने कहा था कि सर्जरी कराना उनके लिए अंधेरे में चौका लगाने जैसा था। ये उनके लिए आखरी रास्ता था। बेनेट पिछले कई माहीनों से बिस्तर पर ही हार्ट-लंग बायपास मशीन के सहारे जी रहे थे। अब वे जल्द ही ठीक होकर बिस्तर से उतरना चाहते हैं।
सुअर के दिल में जैनेटिक बदलाव
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुअर का दिल इंसान में ट्रांसप्लांट करने के लिए उचित होता है। रही बात सुअर को जैनेटिक तरीके से बदलने की तो सुअर के सेल्स में एक अल्फा-गल शूगर सेल होता है। इस सेल को इंसान का शरीर जल्द अडॉप्ट नहीं करता है। जो मरीज की मौत का कारण भी बन सकत है। इस परेशानी को दूर करने के लिए ही अमेरिकी डॉक्टरों ने पहले सुअर में जैनेटिक बदलाव किया।