रायपुर। ‘नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है’। इस सुपरहिट गीत को अपनी आवाज देकर मशहूर करने वाली भारत रत्न लता मंगेश्कर (Lata Mangeshkar) आज भले ही इस दुनिया से रुख्सत हो चुकी हैं, उनकी काया पंचतत्व में विलीन हो चुकी हैं, लेकिन उनकी आवाज आज भी देश के हर घर में गूंज रही है। उनकी उस मधुर आवाज को इस धरती के रहते तक भूला पाना संभव नहीं है।
आठ दशकों तक संगीत और सुर की साधना करने वाली भारत रत्न स्व. लता दीदी ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज से पल्लवित किया है, उन गीतों को विशेष पहचान मिली है। इसमें एक गीत ‘छूट जाही अंगना अटारी’ भी शामिल है। छत्तीसगढ़ी भाषा (In Chhattisgarhi) में रचित इस गीत के बोल जितने मधुर हैं, वह लता दीदी (Lata Didi) की आवाज पाकर और भी ज्यादा सुमधुर हो गया।
स्व. लता दीदी ने ‘छूट जाही अंगना अटारी’ को अपनी आवाज देकर ऐसी पहचान दे दी थी कि उस गीत को यू—ट्यूब (YouTube) पर जहां 17 हजार लाइक्स (Likes) मिले हैं, तो 19 लाख 75 हजार से ज्यादा लोगों ने उस गीत को सुना भी है। साल 2017 में यह गीत यू—ट्यूब (YouTube) पर रिलीज किया गया था, तब शायद उतना प्रचार नहीं हुआ, जितना लता दीदी (Lata Mangeshkar) के परमलोक जाने के बाद हो रहा है।
भूलाया नहीं जा सकता
पद्मभूषण, पद्मविभूषण के बाद भारत रत्न से सम्मानित स्व0 लता दीदी की आवाज का जादू बीते 8 दशकों से जारी है। महज 13 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार अपनी आवाज दी थी, जिसके बाद शुरु हुआ यह सफर 8 दशकों तक जारी रहा। आज भले ही उन्होंने अपनी काया का त्याग कर दिया है, लेकिन उनकी आवाज आने वाले कई दशकों तक उनकी याद को ताजा रखने के लिए काफी हैं।