रायपुर। समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से देश की जनता और सरकार के सामने एक अहम मुद्दे पर ध्यानाकर्षण करते हुए कहा है कि एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार देश में डिजिटल पेमेंट पर जोर दे रही है, साथ ही कोरोना काल में स्कूल, कॉलेजों के बंद होने के कारण ऑनलाइन स्टडीज़ शुरू हैं और ऑफिसों के सुचारू रूप से शुरू ना हो पाने के कारण ‘वर्क एट होम’ का काम शुरू है। ऐसी सूरत में जब देश में इंटरनेट की सुविधा ही सुचारू रूप से कार्यान्वित नहीं रहेगी तो सरकार जो यह सब बातें कह रही है वो कैसे मुमकिन होंगी?
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा है कि सरकार एक तरफ बड़ी-बड़ी घोषणाएँ करती है और उसे मीडिया के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्चा करके प्रचारित व प्रसारित भी करती है। लेकिन ऐसी किसी घोषणाओं का फायदा जनता को नहीं हो पाता है क्योंकि इन घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए जो काम किए जाने चाहिए वह कहीं ना कहीं ना कहीं नाकाफ़ी दिखाई देते हैं। सरकार को चाहिए की जो सेल्यूलर कंपनियां इंटरनेट की सुविधाएँ जनता को उपलब्ध करवा रहे हैं उन पर TRAI(Telecom Regulatory Authority of India), के आदेशों के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए जनता के हित में इंटरनेट सुविधाओं को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए आदेश दें और जो ऐसा काम नहीं कर पा रहा है उसका लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर देना चाहिए क्योंकि भारत में 4G के नाम पर केवल और केवल लोगों को यह कंपनियां झांसा दे रही हैं क्योंकि स्पीड 2G की भी नहीं आ पा रही है। ऐसे में ना डिजिटल पेमेंट हो पाएंगे, ना ही सर्वर से संबंधित कोई काम हो पाएंगे, नहीं नेटवर्क से संबंधित कोई काम हो पाएंगे और ना ही कोरोना काल में स्कूल कॉलेजेस बंद होने की स्थिति में बच्चों की ऑनलाइन स्टडीज़ हो पाएगी ना ही वर्क एट होम हो पाएगा।
मेरा सरकार से निवेदन है कि रोज़मर्रा की इस बेहद महत्वपूर्ण जरूरत पर सरकार तुरंत संज्ञान लेते हुए उचित और कड़ी कार्रवाई करे।