पारंपरिक खेती की तुलना में आधुनिक खेती(farming ) में कमाई ज्यादा होती है।आधुनिक खेती ज्यादा सुरक्षित होती है और इन फसलों की मांग हमेशा बनी रहती है। यहीं कारण है कि किसान अब नए किस्म के फसलों की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं। बड़ी संख्या में भारत के किसान अब लेमनग्रास(lemongrass) की खेती करने लगे हैं। लेमनग्रास को आम बोलचाल की भाषा में नींबू घास कहा जाता है।
लेमनग्रास की खेती कर रहे किसान बताते हैं कि इस पर आपदा का प्रभाव नहीं पड़ता और पशु नहीं खाते तो यह रिस्क फ्री फसल है।
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ऐसे करें खेती ( lemongrass farming)
वहीं लेमनग्रास की रोपाई के बाद सिर्फ एक बार निराई करने की जरूरत पड़ती है और सिंचाई भी साल में 4-5 बार ही करनी पड़ती है।
कितना लागत और मुनाफा ( profit)
लेमनग्रास की खेती धान की तरह होती है. पहले इसके बीज को नर्सरी में बोया जाता है. पौधों के कुछ बड़े होने पर इसे उखाड़ कर खेत में या अन्य जगह रोपाई करते हैं। एक हेक्टेयर( hectare) के लिए 4 किलो बीज की जरूरत होती है। पौधे 2 महीने के भीतर लगाने लायक हो जाते हैं. पौधे के ऊपरी भाग को जड़ से 15 सेंटीमीटर छोड़कर काट लेते हैं. जड़ों को अलग कर लेते हैं और 30 से 45 सेंटीमीटर(centermeter ) की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। एक एकड़ में 12 हजार से 15 हजार पौधे लगाए जाते हैं। इसकी कीमत 50 से लेकर 2 रुपए तक होती है।
इन राज्यो मे होती है खेती
भारत के केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र (maharastra )और झारखंड में किसान लेमनग्रास की प्रमुखता से खेती करते हैं। देश के अन्य राज्यों(states ) में भी इसकी खेती होती है।