‘जीरो टॉलरेंस’ (Zero Tolerance ) सुनने में अच्छा लगता है और दिमाग में बात आती है कि क्या भारत में (In India) ऐसा दिन देखने को भी नसीब होगा, पर हकीकत यह है कि वर्तमान परिस्थितियों में तो नहीं। पर क्यों, जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) संसद में भी अपने लिए लाए गए भोजन का पैसा भी अपनी जेब से देते हैं, पर उनके अलावा राज्यों की कमान संभाल रहे या देश के शीर्ष पर बैठे लोग कितने ईमानदार (Honest) हैं, वास्तव में गणना का विषय यह है।
यह बात इसलिए सामने आई, क्योंकि राजस्थान के जयपुर (Jaipur) में एक महिला ड्रग इंस्पेक्टर (Lady Drug Inspector) को जब रिश्वत लेते (Taking Bribe) रंगे हाथों पकड़ा गया, तो उनके मुंह से बरबस यही शब्द निकले कि यह मेरे अकेले के लिए नहीं है, बल्कि ऊपर वालों को भी देना पड़ता है। और यदि नहीं दिया तो तबादले की धमकियां दी जाती हैं।
शिकायत पर हुई कार्रवाई
प्राप्त जानकारी के मुताबिक महिला ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी (Lady Drug Inspector Sindhu Khumari) के पास 500 मेडिकल स्टोर्स के निरीक्षण (Inspection) की जिम्मेदारी थी। यह महिला अधिकारी इन सभी मेडिकल स्टोर्स (Medical Stores) से हर महीने 5—5 हजार रुपए वसूल करती थी, जिसके एवज में वह मेडिकल स्टोर्स में जांच के लिए पहुंचती ही नहीं थी, तो फिर मेडिकल स्टोर्स वालों की तो मानों चांदी हो गई थी। इनमें से ही एक मेडिकल स्टोर्स (Medical Stores) के संचालक में हर महीने 5 हजार वसूली को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) में शिकायत कर दी। जिसे लेकर हरकत में आए एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) ने सिंधू कुमारी को ट्रेप किया और रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
अधिकारी से मंत्री तक शामिल
ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी (Drug Inspector Sindhu Kumari) ने गिरफ्तारी के बाद कहा है कि ‘ऊपर तक देना होता है।’ दरअसल में यह इशारा केवल एक या दो लेवल ऊपर के अफसरों तक सीमित नहीं है, बल्कि अधिकारियों से लेकर मंत्री तक होने वाले बंदरबांट की स्पष्ट तस्वीर है। उनके इस एक लाइन में बात स्पष्ट हो जाती है कि ‘भ्रष्टाचार एक शिष्टाचार’ का रूप ले चुका है।