रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का बजट सत्र आज 7 मार्च से शुरु हो गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 9 मार्च, बुधवार को राज्य का बजट पेश करेंगे। यह उनके कार्यकाल का चौंथा बजट होगा। इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बतौर वित्तमंत्री अपने कार्यकाल का तीन बजट पेश कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने प्रदेश के किसानों पर सबसे ज्यादा फोकस किया। प्रदेश के गोपालकों, भूमिहीन मजदूरों और कमजोर किसानों को मजबूत बनाने की दिशा में न्याय योजनाओं को लागू किया।
बीते दो सालों से कोरोना ने ना केवल प्रदेश को बल्कि देश को काफी ज्यादा प्रभावित किया है, जिसकी वजह से सरकार की मंशाओं पर पानी फिर गया, विकास की गति बाधित हो गई। हालांकि इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने प्रदेश की जनता के साथ न्याय करने की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाए हैं। जिसमें किसानों के अलावा प्रदेश के कर्मचारियों, व्यापारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावा अन्य वर्ग के लोगों को भी लाभान्वित करने का प्रयास किया गया।
9 मार्च पर निगाहें
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ राज्य का बजट 9 मार्च को पेश करने वाले हैं। इससे पहले उन्होंने सभी मंत्रियों के विभागों की समीक्षा की है, जरुरतों की जानकारी को एकत्र किया है, तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार किया है। सीएम बघेल 9 मार्च को अपना चौथा बजट पेश करने वाले हैं, जिस पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं।
प्रदेश के लोगों की मांग
छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मचारी, अर्धशासकीय कर्मचारी, संविदा कर्मी, कारोबारी, गृहिणी सहित कई वर्ग के लोगों की बजट पूर्व मांग सामने आई है। इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लोगों की मांग है कि प्रदेश के किसानों की खुशहाली की दिशा में सरकार के प्रयास सराहनीय साबित हुए हैं। वहीं शासकीय सेवाओं में लगे सभी तरह के कर्मियों का कहना है कि इस बार बजट ‘सर्वजन हिताय, बहुजन सुखाय’ होना चाहिए।
अतिथि व्याख्याताओं की मांग
प्रदेश का बजट पेश करने से पहले महाविद्यालयों में निरंतर सेवा दे रहे अतिथि व्याख्याताओं की भी मांग सामने आई है, जिसमें उनका कहना है कि वे प्रदेश में उच्च शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में बेहतर प्रयास हुए हैं। इसमें अतिथि व्याख्याताओं का भी पूरा योगदान रहा है, वे नियमित व्याख्याताओं की तरह ही सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाले मानदेय पर राज्य सरकार का सहयोग अपेक्षित है।
शिक्षा और स्वास्थ्य
प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में इन तीन सालों में बेहतर प्रयास हुए हैं। बात चाहे स्वामी आत्मानंद विद्यालय की हो या फिर शहरी स्वास्थ्य की, भूपेश सरकार के प्रयासों का प्रतिफल प्रदेश के लोगों को लाभन्वित कर रहा है। इस पर प्रदेश के लोगों की राय है कि राज्य में निजी स्कूलों पर भी सरकार का नियंत्रण हो, ताकि पालकों पर पड़ने वाला अतिरिक्त भार कम हो सके। वहीं निजी अस्पतालों में भी उपचार के नाम पर मची लूट पर भी शासन का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए।