लखनऊ। पांच राज्यों के चुनावी नतीजे पूरी तरह साफ हो चुके हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में जिस तरह के नतीजे आएं है, उसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरोध में जुमलेबाजी करने वालों की हलक सुख गई है। राजनीतिक पंड़ितों ने इस पर कहा है कि यूपी में मोदी—योगी के खिलाफ प्रचार करने वालों ने अपने पक्ष के लिए प्रचार किया होता, तो संभव था कि आंकड़े बदल सकते थे। लेकिन विरोध करते हुए यूपी में मोदी—योगी का प्रचार करते रहे, जिसकी वजह से आज नतीजे ऐसे सामने आए हैं।
यूपी में चुनाव को लेकर देशभर में सियासी पारा गर्म था। देश के सबसे बड़े राज्य में अपनी सत्ता जमाने की ख्वाहिश लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने ऐड़ी—चोटी का जोर लगा दिया था, फिर भी कुल मिलाकर भी भाजपा ने जितनी सीटें जीती हैं, उसके आसपास भी नहीं पहुंच पाए हैं।
कुल 403 सीटों वाले उत्तरप्रदेश में एक बार फिर 273 सीटों पर भगवा लहरा रहा है, तो सपा 125, कांग्रेस 2, अन्य 2 और 1 पर बसपा ने जीत हासिल की है। इस तरह से कुल 150 सीटें विपक्ष के खाते में गईं हैं। यूपी में सत्तासीन होने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को 202 सीटों की आवश्यकता थी। दो राय नहीं कि समाजवादी पार्टी ने इस जादुई आंकड़े को छूने के लिए जबरदस्त तैयारी की थी, जिसकी वजह से 125 सीटों पर साइकिल दौड़ भी गई, पर इसके आगे नहीं बढ़ पाई।
जहर उगलने वालों के मुंह पर ताला
अब यूपी में मोदी और योगी के खिलाफ जहर उगलने वालों के मुंह पर ताला लग गया है। वे जीत और हार की समीक्षा में जुट गए हैं, क्योंकि आने वाले पांच सालों तक वे केवल विरोध में ताने—बाने ही बुन सकते हैं, क्योंकि यूपी में लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने जा रही है।