India China Border Tension: भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवन घाटी में हुए संघर्ष के दौरान सैनिकों के पास हथियार नहीं थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित देश के तमाम लोगों के मन में यह सवाल कौंधा कि आखिर क्या वजह थी कि सैनिक अपने साथ हथियार लेकर नहीं गए। राहुल गांधी को तो विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा कि गतिरोध के वक्त हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी परंपरा (1996 और 2005 के समझौतों के तहत) है।
हालांकि यह विस्तार से जानना जरूरी है कि आखिर वे कौनसे समझौते हैं, जिनके तहत चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)पर भारत के साथ ही चीन के सैनिक भी हथियार नहीं रखते हैं। आइए जानते हैं दोनों देशों के बीच सीमाओं को लेकर कितने समझौते हुए हैं और इन समझौतों के दोनों देशों के लिए क्या है मायने।
सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों देशों के मध्य कई समझौते : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस प्रसंग में दो समझौतों का उल्लेख किया है, जो 1996 और 2005 में हुए थे। हालांकि भारत और चीन के मध्य सीमा विवाद को सुलझाने के लिए पांच समझौते 1993, 1996, 2005, 2012 और 2013 में हुए थे। 1993 के समझौते के वक्त पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। यह समझौता सामान्य था, जो बाद के समझौतों के चलते विवरण से बाहर हो गया। 1996 के समझौते के अनुच्छेद 6 में कहा गया है कि कोई भी पक्ष एलएसी के दो किमी के दायरे में गोली नहीं चलाएगा।
सैनिकों की संख्या भी करता है निर्धारित : भारत और चीन के मध्य 1996 का समझौता एचडी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री रहते हुए किया गया। यह समझौता एलएसी पर दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के सशस्त्र बलों द्वारा निभाए जाने वाले प्रोटोकॉल के बारे में सबसे व्यापक है। यह न केवल दोनों देशों के तैनात किए जाने वाले सैनिकों की संख्या को निर्धारित करता है, बल्कि दोनों देशों के लिए सैन्य अभ्यास के लिए भी अधिकतम 15 हजार की संख्या सीमित करता है। साथ ही यह शर्त भी लगाता है कि सैन्य अभ्यास में शामिल मुख्य बल की दिशा दूसरे पक्ष की ओर नहीं होगी।
बड़े हथियारों की तैनाती पर रोक : 1996 का समझौता दोनों देशों की सेनाओं को फील्ड आर्टिलरी की कम से कम तैनाती की बात कहता है। इसमें युद्धक टैंक, इंफैंट्री कॉम्बेट व्हीकल, तोपें (होवित्जर सहित) 75 एमएम या इससे बड़ी, 120 एमएम या उससे बड़े मोर्टार, जमीन से जमीन ओर जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल और किसी भी प्रकार की अन्य हथियार प्रणाली की तैनाती नहीं करने पर दोनों देशों ने सहमति जताई है।