Corona Vaccination for Children: देश में कोरोना महामारी(corona epidemic in the country) के खिलाफ बीते 2 सालों( 2 years)से जारी जंग में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने देश वासियों से अपील कि है कि भारत को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए प्रत्येक बच्चों को टीकाकरण(vaccination of children) का कवच अवश्य लगवाएं। उन्होंने भविष्य कि आशंकाओं को देखते हुए कहा कि आने वाले कल को सुरक्षित रखने के लिए देश (Country)के सभी लोगों कि सुचिता अनिवार्य है।
देश में अब 12 से 14 वर्ष के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगने का रास्ता साफ हो गया है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया(Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने बताया कि बुधवार, 16 मार्च से 15 वर्ष (March 16 to 15 years)से कम उम्र के बच्चों को भी कोविड वैक्सीन लगाई जाएगी। इस उम्र कैटेगरी के बच्चों की अनुमानित संख्या 7.5 करोड़ के आसपास है। देश में 3 जनवरी से बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। पहले चरण में 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन हो रहा है। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, जिन बच्चों का जन्म 2008, 2009 और 2010 में हुआ है, वो भी वैक्सीन लगवा सकते हैं। हेल्थ मिनिस्टर ने सभी पेरेंट्स से बच्चों का वैक्सीनेशन करवाने की अपील की है।
इसी वर्ष जनवरी से 15 वर्ष से ऊपर के बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट कर बताया कि 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को प्रिकॉशन डोज या बूस्टर डोज भी दी जाएगी। उन्होंने अपील की, ‘मेरा बच्चों के परिजनों व 60+ आयुवर्ग के लोगों से आग्रह है की वैक्सीन जरूर लगवाएं।’ अब 12 से 14 वर्ष के बच्चों को कोर्बेवैक्स वैक्सीन की डोज (Corbevax Vaccine Dose) दी जाएगी।
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बच्चों को लगनी हैं कौन सी वैक्सीन?
केंद्र सरकार के अनुसार, 12 से 14 साल की एज कैटेगरी के बच्चों को कोर्बीवैक्स वैक्सीन लगेगी। जिसे हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई ने बनाया है। इस वैक्सीन को पिछले महीने ही 12 से 18 साल के बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। कोर्बीवैक्स एक रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। यह कोरोना वायरस की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बनी है। यह स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को शरीर की कोशिकाओं में घुसने में मदद करता है। इसके बाद वायरस तादाद बढ़ाकर शरीर में संक्रमण फैलाना शुरू करता है।
बच्चों को कैसे लगेगी ये वैक्सीन?
ठीक उसी तरह जैसे अभी भारत में कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगाई जा रही है। ये भी इंटरमस्कुलर वैक्सीन है, जिसे इंजेक्शन द्वारा शरीर में डाला जाएगा। इसे वैक्सीन की दो डोज में 28 दिनों का अंतर रहेगा। इसे बनाने में कम लागत वाले तरीकों का इस्तेमाल हुआ है जिसकी वजह से यह सबसे सस्ती वैक्सीन्स में से एक है।
जानें बच्चों के लिए कितनी सेफ है ये वैक्सीन?
पिछले साल सितंबर में बायोलॉजिकल ई को अपनी वैक्सीन का ट्रायल 5 से 18 साल के बच्चों पर करने की अनुमति मिली थी। इस एज कैटेगरी के 3 हजार बच्चों में हुए फेज 2 और 3 के क्लीनिकल ट्रायल में ये वैक्सीन सुरक्षित और असरदार साबित हुई है। दावा है कि 90 परसेंट तक इम्युनिटी प्रदान करती है।
21 फरवरी को मिली थी मंजूरी
भारतीय औषधि महानियंत्रक (DGCI) ने 21 फरवरी को कुछ शर्तों के अधीन 12 से 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए बायोलॉजिकल-ई के कोविड-19 रोधी टीके ‘कॉर्बेवैक्स’ के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। डीजीसीआई ने सबसे पहले ‘जाइकोव-डी’ टीके को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। भारतीय दवा नियामक ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के कोविड टीके कोवोवैक्स के सीमित आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी। डीजीसीआई ने कोविड-19 से संबंधित विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के आधार पर कोवोवैक्स के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी।