देश में पिछले कई दिनों से (Coronavirus) के मामलों में कमी जारी है. वहीं, चीन, हांगकांग और ब्रिटेन में इस वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच कर्नाटक में 221 मरीजों में डेल्टाक्रॉन वैरिएंट (Deltacron Variant) के संकेत मिले हैं. इनकी जांच की जा रही है. कोविड जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) का कहना है कि देशभर में इस वैरिएंट के 568 मामले जांच के दायरे में हैं. हालांकि अभी स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस वैरिएंट को लेकर कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं दी गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जनवरी 2022 में फ्रांस में इस वैरिएंट के फैलने की शुरुआत हुई थी और पहला मामला सामने आया था. वैज्ञानिकों ने डेल्टाक्रॉन वैरिएंट को एक हाइब्रिड वैरिएंट (Hybrid Variant) बताया है, जिसका नाम BA.1 + B.1.617.2 है. यह डेल्टा (Delta) और ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) से मिलकर बना है.
अमेरिका और इजरायल में पहले ही इस वैरिएंट की पहचान हो चुकी है. अब भारत में भी इसके आने के संकेत मिले हैं. उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन का रिकॉम्बिनेंट वायरस फैल रहा है और इसका सर्कुलेशन तेजी से हो सकता है. ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि कोरोना की तीन लहर झेल चुके भारत के लिए क्या यह वैरिएंट चिंता का कारण बन सकता है? क्या इस वैरिएंट की वजह से देश में संक्रमण की चौथी लहर आने की आशंका है?
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और कोविड एक्सपर्ट डॉ. अंशुमान ने बताया कि जनवरी में साइप्रस सिटी में 12 केस में डेल्टाक्रॉन वैरिएंट पाया गया था.चूंकि यह वैरिएंट ओमिक्रॉन और डेल्टा से मिलकर बना था, तो ऐसे में यह डर था कि अगर इस वैरिएंट में ओमिक्रॉन की संक्रामक क्षमता और डेल्टा की मारक क्षमता आ गई तो यह काफी घातक साबित हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यह वैरिएंट ओमिक्रॉन से तो खतरनाक था, लेकिन डेल्टा से कमजोर था. हालांकि इस वैरिएंट के सभी मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा था, लेकिन उनमें गंभीर लक्षण नहीं थे.
क्या भारत में चौथी का कारण बन सकता है डेल्टाक्रॉन
डॉ. अंशुमान के मुताबिक, हो सकता है कि इस वैरिएंट से भारत में ज्यादा खतरा न हो. क्योंकि देश में ओमिक्रॉन से लगभग पूरी आबादी संक्रमित हो चुकी है. दूसरी लहर के दौरान डेल्टा भी फैल गया था. टीकाकरण भी तेजी से चल रहा है. ऐसे में डेल्टाक्रॉन से किसी नई लहर के आने की आशंका काफी कम है, हालांकि इस बारे में दावे से नहीं कहा जा सकता यह नया वैरिएंट खतरनाक नहीं होगा. क्योंकि अगर इस वैरिएंट में ओमिक्रॉन का BA.2 सब वैरिएंट (स्टील्थ ओमिक्रॉन) हुआ, तो हो सकता है कि आने वाले दिनों में केस बढें. इसलिए अभी हमें सतर्क रहकर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा और इस नए वैरिएंट के लिए विशेष प्रक्रिया को अपनाना होगा.
इस रणनीति पर करना होगा काम
डॉ. अंशुमान ने बताया कि अभी यूके और इजरायल में कुछ केस आए हैं, जिनमें डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के अंश हैं. इसी तरह के केस ही कर्नाटक में रिपोर्ट हुए हैं. अब हमें यह जांच करनी होगी कि यहां यह वैरिएंट कैसा व्यवहार कर रहा है. इसके लिए यह जरूरी है कि जिन मरीजों में डेल्टाक्रॉन के संकेत मिले हैं, उनके सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए. जिन लोगों में नए वैरिएंट की पुष्टि हो, उन्हें कम से कम एक महीने तक आइसोलेशन में रखकर यह देखा जाए कि इनमें कोरोना के लक्षण गंभीर तो नहीं है. इसके साथ ही रैंडम सैंपल लिए जाने चाहिए. उनकी भी सीक्वेंसिंग कर ये पता करें कि इनमें कोरोना का कौन सा वैरिएंट है. अगर डेल्टाक्रॉन मिल रहा है तो मरीजों के लक्षणों पर ध्यान देना होगा. अगले एक महीने में कोरोना के नए मामले, मौतों और हॉस्पिटलाजेशन के आंकड़ों पर भी नजर रखनी होगी
अगली लहर आई भी तो हल्का ही रहेगा असर
सफदरजंग हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि डेल्टाक्रॉन वैरिएंट को आए हुए करीब दो महीने का समय हो गया है. लेकिन इस वैरिएंट के मामले जिन देशों में रिपोर्ट हुए हैं. वहां इससे न तो अचानक से मौतें बढ़ी और और न ही हॉस्पिटलाइजेशन. फिलहाल इस वैरिएंट पर रिसर्च चल रही है. इसलिए अभी इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है यह नया वैरिएंट तेजी से फैलेगा. ऐसे में इस बात की आशंका कम है कि डेल्टाक्रॉन भारत के लिए कोई बड़ा खतरा होगा.