ऑनलाइन होंगी महाविद्यालय की परीक्षाएं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद प्रशासन ने जारी किए आदेश।
जगदलपुर ऑफिस डेस्क :- NSUI के प्रतिनिधमंडल के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर महाविद्यालयों में ऑफ-लाइन की जगह ऑनलाइन परीक्षा की मांग करने तथा मुख्य-मंत्री के आश्वाशन के बाद आखिरकार, उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के महाविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षा करवाने का आदेश जारी कर दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI प्रदेश में जैसी शिक्षा वैसी परीक्षा का नारा देकर महाविद्यालयों में ऑफ-लाइन परीक्षा को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही थी, हाल ही में NSUI का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिला था, जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ऑन लाइन परीक्षा करवाने के संदर्भ में आश्वाशन दिया था और इस संदर्भ में प्रशासन ने आज आदेश जारी कर दिया है।
10 वीं और 12वीं की परीक्षाएं हुई ऑफलाइन
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 10 वीं और 12 वीं बोर्ड की परी-क्षाएं ऑफलाइन हो चुकी हैं और बोर्ड के विद्यार्थियों की पढ़ाई भी कोरोना की वजह से प्रभावित हुई थी पर सरकार ने बोर्ड की परीक्षाएं ऑफलाइन पैटर्न से ही करवाई।
छात्र संगठन ABVP की प्रतिक्रिया
बस्तर के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक कमलेश दीवान ने प्रशासन के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चूंकि ये सरकार का निर्णय है इसलिए इस पर ज्यादा कुछ कहने को है नहीं परंतु अभाविप का मत है की विद्यार्थियों का उचित मूल्यांकन होना चाहिए। परिषद ने कभी ऑनलाइन पद्धति से परीक्षा का विरोध नही किया लेकिन उस ऑनलाइन पद्धति से परीक्षा में भी विद्यार्थियों का मूल्यांकन कैसे किया जाये यह महत्वपूर्ण है।
हम देखते है कि कुछ माह पूर्व जब प्रदेश के एक शासकीय विश्वविद्यालय CSVTU में पॉलिटेक्निक के विद्यार्थियों की मूल्यांकन करने के लिए एक श्रेष्ठ पहल की उन्होंने विद्यार्थियों को कुल 4 घंटे का समय दिया जिसमें 3 घंटे में दिए हुए प्रश्नों का उत्तर लिखकर चौथे घंटे के अंदर उनकी सॉफ्ट कॉपी प्रेषित करनी थी। इस तरह के नये प्रयोगों के माध्यम से विद्यार्थियों का मूल्यांकन होना चाहिए जिससे आने वाले समय में विद्यार्थी विषय वार अपनी कमियों का आकलन कर उस विषय पर अधिक मेहनत करते हुए अपने आप को और श्रेष्ठ बनाने की दिशा में आगे बढ़े।
विशेषज्ञों को राय
शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे कुछ विशेषज्ञों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार का ये कदम उन होनहार विद्यार्थियो के साथ अन्याय है जो वर्ष भर तैयारी करते हैं परीक्षा में अव्वल आने के लिए ,सरकार का ये निर्णय प्रति-भाशाली छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है, विशेषज्ञों का कहना हैं कि सरकार के इस निर्णग के दुष्परिणाम भविष्य में सामने आएंगे, ऑनलाइन परीक्षा में चूंकि सभी छात्र घर बैठे पुस्तक और अन्य संसाधनों का प्रयोग कर परीक्षा देंगे जिससे प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का चयन मुश्किल हो जायेगा।
उनका मानना हैं कि कोरोना काल में ऑनलाइन परीक्षा लेना सरकार की विवशता थी न कि छात्रों का अधिकार, चूंकि वर्त-मान में कोरोना के प्रकरणों में कमी है तो ऐसे समय में ऑन-लाइन परीक्षा का क्या तुक? सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, विशेषज्ञों का कहना कि अच्छा होता ऑनलाइन परीक्षा की बजाय सरकार सीधे सबको विगत 3 वर्ष के मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षा के लिए सीधे प्रविष्टि दे देती।