कैसर जहां लखनऊ की तोपखाना बाजार की तंग गलियों में इस चिलचिलाती गर्मी में सब्जी का ठेला लगाती हैं. शुक्रवार की नमाज से पहले उनके ठेले के पास हमेशा की तरह भीड़ थी. ठीक उसी समय 7,669 किमी दूर साउथ अफ्रीका (South Africa) में खेले जा रहे महिला जूनियर हॉकी विश्व कप (Women Junior hockey World Cup) में उनकी बेटी मुमताज खान ने खेल के 11वें मिनट में साउथ कोरिया की गोलकीपर को छकाते हुए गोल दागा. मुजताज के इस गोल ने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारत की जीत की नींव रखी. इस मैच में भारत ने कोरिया को 3-0 से शिकस्त दी. भारतीय महिला हॉकी टीम इस प्रतियोगिता में दूसरी बार सेमीफाइनल में पहु्ंची है.
हालांकि सब्जी बेच रहीं कैसर जहां विश्व कप में अपनी बेटी के इस कमाल को नहीं देख सकीं. मुमताज को शानदार प्रदर्शन करने के लिए प्लेयर ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया. हालांकि मां को बेटी को खेलते हुए देख पाने का मलाल नहीं है. कैसर जहां का मानना है कि भविष्य में ऐसे कई और मौके आएंगे जब वह अपनी बेटी को गोल करते हुए देखेंगी.
सबसे ज्यादा गोल करने वाली तीसरी खिलाड़ी
मुमताज खान ने जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में अब तक 6 गोल दागे हैं. वह इस प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा गोल करने वाली तीसरी खिलाड़ी हैं. भारत के शुरुआती मैच में वेल्स के खिलाफ उन्होंने गोल गिया. इसके बाद वह जर्मनी के विरुद्ध गोल करने में सफल रहीं. वहीं मलेशिया के विरुद्ध उन्होंने सनसनीखेज हैट्रिक लगाई थी.
लोग ताना मारते थे
8 अप्रैल को साउथ कोरिया के खिलाफ खेले गए मैच में जब मुमताज ने अपने पहले गोल से भारत को बढ़त दिलाई. तो उस समय लखनऊ में उनकी बहनें मोबाइल पर मैच देख रही थीं. जबकि पिता हाफिज मस्जिद में थे. मुमताज की बहन फराह कहती हैं यह बता पाना मुश्किल है कि आज हम कैसा महसूस कर रहे हैं. कुछ लोगों ने मेरे माता-पिता पर इसलिए ताना मारा था क्योंकि उन्होंने लड़की को खेलने की इजाजत दी. मां कैसर जहां ने कहा, हमने लोगों की ऐसी बातों को हमेशा नजरअंदाज किया. लेकिन आज ऐसा लगता है मुमताज ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है.
मुमताज और उनके हॉकी खेलने की कहानी भी दिलचस्प है। 2013 में मुमताज आगरा में एक प्रतियोगिता के लिए अपनी स्कूल एथलेटिक्स टीम के साथ गई थी, जहां मुमताज ने शीर्ष स्थान हासिल किया, जिसके बाद एक स्थानीय कोच ने मुमताज को सुझाव दिया कि वह हॉकी खेलना शुरू करें।