शास्त्रों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्रीराम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी कारण आज के दिन को जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शनिवार होने के कारण इस जन्मोत्सव का महत्व कई गुना बढ़ गया है। इसके अलावा इस बार काफी दुर्लभ संयोग भी बन रहा है ऐसा करीब 31 सालों बाद हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार हनुमान जन्मोत्सव पड़ती है। क्योंकि भगवान हनुमान के जन्म को लेकर थोड़ा सा मतभेद है।
रामायण के अनुसार माना जाता है कि पवन पुत्र का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था। वहीं दूसरे मत के अनुसार माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए चैत्र मास को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में और कार्तिक मास को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जानिए हनुमान जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और स्तोत्र।
ज्योतिषों के अनुसार, आज शनि मकर राशि में विराजमान है जो काफी शुभ माना जा रहा है। मकर राशि में शनि हनुमान जयंती के दिन पहले भी विराजमान रह चुके हैं। ऐसा संयोग 1991 में बना था। उस दिन भी शनिवार था। इसलिए आज के दिन कुछ उपायों को करके आसानी से शनिदेव के साथ-साथ मंगल ग्रह को शांत किया जा सकता है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 16 अप्रैल देर रात 02 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 17 अप्रैल को सुबह 12 बजकर 24 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक
हनुमान जन्मोत्सव पर बन रहा खास संयोग
इस बार हनुमान जन्मोत्सव पर खास संयोग बन रहा है। इस दिन रवि योग के साथ हर्षण योग बन रहा है। वहीं नक्षत्रों में हस्त और फिर चित्रा योग बन रहा है।
हस्त नक्षत्र- 16 अप्रैल सुबह 08 बजकर 40 मिनट तक
चित्रा – 16 अप्रैल सुबह 8 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 17 अप्रैल सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक।