Big News : छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh)रायगढ़ जिले (Raigarh District)के गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक(Gare Pelma Sector-2 Coal Block) में खनन के लिए 214.869 हेक्टेयर वन भूमि देने को तैयार है। वन विभाग (Forest department)ने वन भूमि डायवर्शन( forest land diversion)की सिफारिश भेज दी है। तमनार ब्लॉक की यह कोयला खदान महाराष्ट्र की बिजली उत्पादन कंपनी (महाजेनको) को आवंटित है। एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन रावत (Maharashtra Energy Minister Nitin Rawat)ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल(Chief Minister Bhupesh Baghel) से इसके लिए मुलाकात की थी।
छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने महाराष्ट्र स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड गारे पेलमा कोल माईन्स सेक्टर- 2 से मिले आवेदन पर सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद खदान की अनुशंसा भेजी है। इसके मुताबिक 300 लाख करोड़ की इस परियोजना के लिए 214.869 हेक्टेयर वन भूमि की जरूरत है।
वन मंडलाधिकारी रायगढ़ ने माना है कि इसके लिए दूसरे सभी विकल्पों का परीक्षण कर लिया गया है और मांगी गई वन भूमि न्यूनतम है। खदान के लिए इस क्षेत्र में कुल 3 हजार 684 पेड़ काटे जाने है। इसके एवज में चक्रधरपुर, नटवरपुर और धुमाबहाल गांवों में 214.869 हेक्टेयर निजी भूमि में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की राशि जमा करने हेतु आवेदक संस्थान द्वारा आवश्यक शर्तें की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है।
इसके तहत स्थल विशेष वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु रायगढ़ वन मंडल के ग्राम चक्रधरपुर के निजी भूमि 115.207 हेक्टेयर, ग्राम नटवरपुर में 95.483 हेक्टेयर और ग्राम बंगुरसिया में 4.248 हेक्टेयर कुल 214.938 हेक्टेयर रकबा प्रस्तावित है। स्थलवार 10 वर्षीय क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण योजना तैयार की गई है।
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खदान क्षेत्र में हाथी की आवाजाही स्वीकारी
अपनी सिफारिश में वन विभाग ने बिंदु क्रमांक 26 में स्वीकार किया है कि प्रस्तावित क्षेत्र के 10 किमी की परिधि में तेंदुआ, भालू और अन्य वन्य प्राणियों का विचरण होता है। बिंदु 32 में कहा गया है, इस क्षेत्र के 10 किमी के भीतर कोई राष्ट्रीय उद्यान, वन्य प्राणी अभयारण्य और हाथी कॉरीडोर नहीं है। कोई उद्यान, अभयारण्य अथवा कॉरीडोर प्रस्तावित भी नहीं है। लेकिन इसके 10 किमी परिधि में हाथियों की आवाजाही होती है।
बड़ी संख्या में विस्थापन की भी आशंका
गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक के लिए करीब 6 हजार 570 एकड़ जमीन में खनन प्रस्तावित है। इसके लिए तमनार ब्लॉक के 26 गांवों के करीब 5 हजार से भी ज्यादा किसानों की खेतिहर जमीन ली जानी है। वहीं कुछ गांवों पर विस्थापन का भी खतरा है। परियोजना आवंटन की शुरुआत में ग्रामीणों ने तीखा विरोध किया था। अभी विरोध के सुर कुछ मद्धिम पड़े हैं। इस सिफारिश में वन अफसरों ने दावा किया है, वन भूमि के पास स्थित लिबरा, कंजेमुरा, पाता, गारे, ढोलनारा, साररामाल, सराईटोला, गुड़ागांव, झिकाबहाल और भालुमुड़ा ग्राम पंचायतों ने अनापत्त प्रमाणपत्र दिया है।